हल्द्वानी–नैनीताल–रामनगर में DDA की कार्यप्रणाली पर जनता का गुस्सा तेज, व्यापारी बोले— मनमानी सीलिंगऔर उत्पीड़न जारी

नैनीताल – हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर में जिला विकास प्राधिकरण (DDA) की कार्यशैली को लेकर जनता और व्यापारियों का रोष लगातार बढ़ रहा है। व्यापारियों का आरोप है कि प्राधिकरण पहले भवन मानचित्रों को स्वीकृत करता है और बाद में उन्हीं निर्माणों को अवैध बताकर सीलिंग या ध्वस्तीकरण कर देता है। इससे लोगों में भारी असंतोष पनप रहा है।
हल्द्वानी के उंचापुल क्षेत्र में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जहाँ DDA द्वारा स्वीकृत भवन को बाद में अवैध घोषित कर तोड़ दिया गया। इस कार्रवाई ने व्यापारियों और स्थानीय लोगों के आक्रोश को और बढ़ा दिया। आरोप है कि प्राधिकरण ‘सिस्टम सील’ का उपयोग कर लोगों पर दबाव बनाता है, जबकि प्रभावशाली लोगों को खुली छूट दी जाती है।
व्यापारियों का कहना है कि छोटे व्यवसायियों और मध्यम वर्गीय परिवारों को साधारण निर्माण की अनुमति तक पाने में परेशानी होती है, वहीं बड़े व्यावसायिक भवन नियमों के विरुद्ध बनते जा रहे हैं। कई संगठनों ने DDA को समाप्त करने और भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
हिल क्षेत्रों में भी प्राधिकरण की कार्रवाई को लेकर विरोध बढ़ रहा है। लोगों का आरोप है कि विकास के नाम पर प्राधिकरण पारंपरिक रास्तों, जलस्रोतों और पुराने मार्गों को बंद कर रहा है।
इसे भी पढ़ें – श्रीनगर गढ़वाल में शुरू हुई उत्तराखंड पुलिस रायफल-पिस्टल शूटिंग चैंपियनशिप
क्या कहते हैं व्यापारी:
- “प्राधिकरण अव्यवहारिक और शोषणकारी बन गया है। छोटे approvals तक में पैसे देने पड़ते हैं, जबकि बड़े निर्माण अधिकारी संरक्षण में खुलेआम चल रहे हैं।”
— विपिन गुप्ता, जिलाध्यक्ष, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल - “तकनीकी कर्मचारियों की कमी के बावजूद छह मंज़िला भवन स्वीकृत किए जा रहे हैं। दमोआडुंगा और राजपुरा में साधारण मानचित्र भी समय पर मंज़ूर नहीं होते।”
— हुकुम सिंह कुँवर, संस्थापक अध्यक्ष, देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल - “मानचित्र स्वीकृति के लिए लोग महीनों दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। सिस्टम वसूली का माध्यम बन चुका है।”
— हर्षवर्धन पांडे, जिला महामंत्री, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल - “छोटी कमियों पर नोटिस देकर छोटे निवेशकों को परेशान किया जा रहा है।”
— वीरेंद्र गुप्ता, राज्य संगठन प्रभारी, प्रांतीय शहरी उद्योग व्यापार मंडल - “पुराने शहर क्षेत्रों में कार्य सड़क और पारंपरिक संरचना के अनुरूप होने चाहिए।”
— दलजीत सिंह डल्ली, अध्यक्ष, मटर गली व्यापार संघ - “मानचित्र से जुड़ी फाइलें महीनों लंबित रहती हैं, जबकि नालों-खालों पर अवैध निर्माण सेटिंग से जारी हैं।”
— अतुल कुमार गुप्ता, राज्य प्रभारी, अखिल एकता उद्योग व्यापार मंडल - “प्राधिकरण जनता पर बोझ बन चुका है। सरकार को देखना चाहिए कि मनमानी को बढ़ावा कौन दे रहा है।”
— कुंदरन बिष्ट, जिलाध्यक्ष, प्रांतीय शहरी उद्योग व्यापार मंडल - “बड़े कॉम्प्लेक्स धड़ल्ले से बन रहे हैं, लेकिन वर्षों से रह रहे परिवार एक कमरा भी नहीं बढ़ा सकते।”
— भुवन लाल साह, पूर्व अध्यक्ष, तल्लीताल ट्रेड बोर्ड - “कड़े नियम सिर्फ आम लोगों पर लागू होते हैं, रातों-रात बहुमंज़िला इमारतें खड़ी करने वालों पर नहीं।”
— मनोज साह, कपड़ा व्यापारी, तल्लीताल




