नियो मेट्रो की रेस में बड़े शहरों से पिछड़ा देहरादून, खतरे में प्रोजेक्ट

नियो मेट्रो की रेस में बड़े शहरों से पिछड़ा देहरादून, खतरे में प्रोजेक्ट

बड़े शहरों की रेस में पिछड़ने से दून में नियो मेट्रो का प्रोजेक्ट खतरे में पड़ गया है। पीएमओ में प्रस्तुतिकरण के बाद भी केंद्र सरकार के मन में प्रोजेक्ट को लेकर कई संदेह हैं जो हर बार दून की फाइल को नीचे कर दे रहे हैं। दरअसल, दिल्ली में करीब 17 शहरों की फाइलें मेट्रो और नियो प्रोजेक्ट के लिए हरी झंडी के इंतजार में हैं। लेकिन, केंद्र सरकार इनमें से क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से बड़े शहरों को प्राथमिकता दे रहा है।

पिछले छह महीने से दिल्ली में ग्रीन सिग्नल के इंतजार में रुकी नियो मेट्रो की फाइल के खाते में फिलहाल मायूसी ही आई है। सूत्रों के अनुसार, यह इंतजार अंतहीन भी हो सकता है। केंद्र सरकार के अधिकारी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनकी इस खामोशी के कई मायने हैं। दरअसल, देहरादून को लेकर केंद्र सरकार के मन में कई शंकाएं है। खासकर जगह की कमी के चलते प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर केंद्र सरकार सशंकित है।

शंका-1
केंद्र सरकार की पहली शंका है कि देहरादून में कम चौड़ी सड़कें नियो के संचालन में बाधा बन सकती है। केंद्र धरातल पर नियो मेट्रो चलाने के पक्ष में है जबकि उत्तराखंड सरकार एलिवेटेड पिलर्स पर नियो चलाने के पक्ष में है।

शंका-2
केंद्र सरकार की दूसरी शंका देहरादून में नियो मेट्रो की जरूरत को लेकर भी है। कई शहरों में घाटे में चल रही मेट्रो के बाद केंद्र सरकार देहरादून में सिर्फ प्रदेश की राजधानी होने के नाते नियो का संचालन नहीं करना चाहती।

शंका-3
केंद्र का मानना है कि नियो और मेट्रो का संचालन वहां के लिए बेहद उपयोगी है, जिस शहर का क्षेत्रफल और आबादी अधिक है। बड़े शहर आबादी के बोझ और सार्वजनिक साधनों की कमी का हवाला देकर आगे निकल रहे हैं।

शंका-4
नियो की तकनीक को लेकर भी केंद्र के मन में संदेह है। इस तकनीक से पहली बार दून में नियाे मेट्रो के संचालन का प्लान है। इस तकनीक पर भारी भरकम बजट खर्च होगा। ऐसे में नई तकनीक की कामयाबी का संदेह भी अवरोध पैदा कर रहा है।

बसों का नेटवर्क कारगर
केंद्र सरकार से नियो मेट्रो को लेकर चर्चा के दौरान देहरादून में इसकी उपयोगिता पर बात हुई। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार के अफसरों ने यह भी कहा, देहरादून के लिए बसों का नेटवर्क बढ़ाने की जरूरत है। वहां नियो से अधिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत बसों को चलाने की जरूरत है। इस पर अर्बन मोबिलिटी प्लान के तहत काम भी हो रहा है।

अब तक का अपडेट

  • नियो मेट्रो के लिए 22.42 किलोमीटर के दो कॉरिडोर निर्धारित कर रूट तय किए गए।
  • दोनों कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन होंगे। जमीन अधिग्रहण की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
  • राज्य के विभाग मेट्रो रेल कारपोरेशन को 99 साल की लीज पर देंगे जमीन।
  • 1900 करोड़ का प्रोजेक्ट, केंद्र सरकार से डीपीआर मंजूरी का इंतजार कर रही राज्य सरकार।
  • राज्य व केंद्र 20-20 प्रतिशत बजट देंगे, शेष 60 प्रतिशत राशि ऋण के माध्यम से जुटाई जाएगी।
दून के नियो मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर भेजी गई फाइल को केंद्र सरकार की स्वीकृति का इंतजार है। केंद्र की स्वीकृति मिलते ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू कराया जाएगा।
– जितेंद्र त्यागी, एमडी, उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन

Related articles

Leave a Reply

Share