तीन साल बाद भी अधूरी मसूरी-यमुना पेयजल योजना, कैसे दूर हो पहाड़ों की रानी में पानी का संकट

तीन साल बाद भी अधूरी मसूरी-यमुना पेयजल योजना, कैसे दूर हो पहाड़ों की रानी में पानी का संकट

मसूरी-यमुना पुनर्गठन पेयजल योजना का काम तीन साल बाद भी अधूरा ही है। जनवरी 2020 में जब इस योजना पर काम शुरू हुआ था तो उम्मीद जागी थी कि अब पहाड़ों की रानी का पेयजल संकट खत्म हो जाएगा और लोगों को भरपूर पानी मिलेगा, लेकिन पेयजल निगम की उदासीनता के कारण पूरे पर्यटन सीजन लोग पानी की किल्लत से जूझते रहे। मसूरी में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 144 करोड़ की लागत से मसूरी-यमुना पुनर्गठन पेयजल योजना बनाई गई थी। 27 जनवरी 2020 में इसका काम शुरू हुआ। इसका काम 26 जनवरी 2022 तक पूरा होना था, लेकिन काम शुरू हुए तीन साल बीत चुके हैं और काम आज भी अधूरा है।

पेयजल किल्लत के कारण सबसे ज्यादा होटल व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों को होती है। शहर के पर्यटन व्यवसायी आशीष गोयल ने बताया कि योजना में पहले ही बहुत देरी हो गई। अक्टूबर, नवंबर में पर्यटकों की भीड़ बढ़ती है, ऐसे में पानी की मांग भी बढ़ जाएगी। इसलिए पेयजल निगम को जल्द से जल्द योजना पर काम पूरा करना चाहिए।

पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता संदीप कश्यप ने बताया कि पाइपलाइन की टेस्टिंग कार्य अंतिम चरण में चल रहा। उम्मीद है कि एक सप्ताह में यह काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद जल संस्थान के टैंक तक पानी पहुंचा देगें। मालरोड पर तीन जगह लाइन में लीकेज थी, उसको ठीक किया गया। वहीं कैंट बोर्ड और आईटीएम क्षेत्र में पानी की लाइन बिछाने और टैंक निर्माण कार्य की अनुमति नही मिली, जिसके कारण इस क्षेत्र में कार्य नही हो पाया।

पेयजल निगम द्वारा अभी तक पानी की आपूर्ति नही की गई। पूर्व में कुछ समय पानी की सप्लाई की, लेकिन पानी साफ नही था। फिल्टर ठीक काम नही कर रहा। – अमित कुमार, ईई जल संस्थान

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