पशुचारा संकट: प्रदेश में 31 प्रतिशत हरे और 17 प्रतिशत सूखे चारे की कमी, चारा विकास नीति लागू करेगी सरकार

पशुचारा संकट: प्रदेश में 31 प्रतिशत हरे और 17 प्रतिशत सूखे चारे की कमी, चारा विकास नीति लागू करेगी सरकार

उत्तराखंड में पशुचारे के संकट को दूर करने के लिए सरकार पहली बार चारा विकास नीति लागू करेगी। इस नीति का प्रस्ताव तैयार हो गया है। किसानों से रायशुमारी करने के बाद आगामी कैबिनेट में नीति का प्रस्ताव लाया जाएगा। नीति में सरकार हरा चारा उत्पादन के लिए किसानों को प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि भी देगी।

इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को पशुचारा क्रय करने व परिवहन पर 75 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत सब्सिडी भी देगी। नीति में आगामी पांच वर्षों के लिए 161 करोड़ की व्यवस्था की जाएगी। बुधवार को राजपुर रोड स्थित राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना कार्यालय में प्रेसवार्ता में पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि राज्य में हरे व सूखे पशुचारे की उपलब्धता के लिए उत्तराखंड चारा विकास नीति तैयार की जा रही है।

2019 की पशुधन गणना के अनुसार प्रदेश में 43.83 लाख पशुधन है। पशुपालन व्यवसाय बढ़ाने और पशुओं की अनुवांशिक सुधार के साथ पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता है। वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष हरे चारे की 31 प्रतिशत व सूखे चारे की 17 प्रतिशत की कमी है। पर्वतीय क्षेत्रों में अक्टूबर से मार्च, मैदानी क्षेत्रों में मई से जून व सितंबर से नवंबर तक चारे की कमी बनी रहती है।

कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव

उन्होंने कहा कि चारा विकास नीति को लागू करने का उद्देश्य राज्य के पशुपालकों को वर्षभर में गुणवत्ता युक्त पशुचारा उपलब्ध हो सके। चारा नीति का क्रियान्वयन के लिए नोडल पशुपालन विभाग होगा। जबकि कृषि विभाग, सहकारिता, दुग्ध उत्पादक सहकारिता संघ, मंडी परिषद व वन सहायक विभाग होंगे। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नीति पर किसानों से सुझाव लेने के साथ ही रायशुमारी की जाएगी। जिसके बाद नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। इस मौके पर सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, निदेशक डॉ. प्रेम कुमार आदि मौजूद थे।

नीति में ये है खास

प्रस्तावित चारा नीति में भूसा भेली के निर्माण और भंडारण को बढ़ावा दिया जाएगा। चारा बैंकों को भूसा क्रय करने व भंडारण के लिए 10 करोड़ की रिवाल्विंग फंड स्थापित किया जाएगा। आपदा काल या चारे संकट के दौरान रिवाल्विंग फंड से भूसा भेली निर्माण इकाईयों को प्रति क्विंटल के हिसाब से 500 रुपये अनुदान दिया जाएगा।

पशुपालकों व चारा उत्पादक संगठनों को निशुल्क बीज दिया जाएगा। साइलेज निर्माण में प्रयोग होने वाले हरा चारे को उपलब्ध कराने वाले सहकारी फेडरेशन में पंजीकृत किसानों को प्रति एकड़ हरा चारा उत्पादन पर 10 हजार रुपए और पर्वतीय जिलों में चारा उत्पादन के लिए प्रति नाली एक हजार रुपये प्रोत्साहन धनराशि प्रति वर्ष दी जाएगी।

साइलेज निर्माण मशीन के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में अकृषि व कृषि भूमि पर सघन चारा वृक्ष भीमल, खडीक, शहतूत, कचनार, मोरिंगा समेत अन्य चारा प्रजाति पौधे लगाने पर तीन साल के बाद एक हजार रुपये प्रति वृक्ष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

सरकार की ओर से संचालित फीड ब्लाक निर्माण इकाई को भूसा क्रय के लिए नियमावली में शिथिलता दी जाएगी, जिसमें बाजार सर्वे पर विभागीय अधिकारियों को प्रतिदिन दस लाख तक भूसा क्रय करने की अनुमति होगी। सितारगंज व कोटद्वार में एक हजार मीट्रिक टन क्षमता का काम्पैक्ट फीड ब्लाक निर्माण इकाई स्थापित की जाएगी। श्रीनगर, चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा व चंपावत में चारा वितरण बैंकों की स्थापना की जाएगी।

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