यूसीसी में संशोधनों पर यूसीसी में संशोधनों पर- सालिसिटर जनरल

यूसीसी में संशोधनों पर यूसीसी में संशोधनों पर- सालिसिटर जनरल

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता (UCC) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या सरकार नए सुझावों पर विचार कर सकती है और आवश्यक संशोधन कर सकती है। इस पर सालिसिटर जनरल ने कहा कि हर सुझाव का स्वागत किया जाएगा।

गुरुवार को यह सुनवाई नैनीताल निवासी प्रो. उमा भट्ट और एक लिव-इन जोड़े द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि यूसीसी का प्रावधान निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और लिव-इन जोड़ों पर अनावश्यक निगरानी बढ़ाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप को समाज पूरी तरह स्वीकार नहीं कर रहा, लेकिन कानून का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तनों को समायोजित करना और महिलाओं व बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है।

सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस मामले में किसी पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी दर्ज किया कि यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई होती है, तो उसे कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता होगी।

Saurabh Negi

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