सीएम धामी ने पीएम मोदी को भेंट की बाल मिठाई और पहाड़ी टोपी

सीएम धामी ने पीएम मोदी को भेंट की बाल मिठाई और पहाड़ी टोपी

देहरादून : प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का केदारनाथ का यह छठवां और बदरीनाथ का दूसरा दौरा था। प्रधानमंत्री शुक्रवार को उत्‍तराखंड पहुंचे थे। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को बदरीनाथ में ही रात्रि विश्राम किया।

जिसके बाद पीएम मोदी शनिवार सुबह करीब साढ़े सात बजे बदरीनाथ से देहरादून के लिए रवाना हुए और यहां से सुबह  8:50 बजे पीएम मोदी दिल्‍ली के लिए रवाना हो गए।

सीएम धामी ने पीएम को भेंट की बाल मिठाई और पहाड़ी टोपी

बदरी-केदार से लौटते हुए दिल्ली जाने से पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीपावली के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री को उत्तराखंंड के अल्‍मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई भेंट की। मुख्‍यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री मोदी को पहाड़ी टोपी भी भेंट की।

3400 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास किया

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बदरीनाथ, केदारनाथ और देश के अंतिम गांव माणा में 3400 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार का रुद्राभिषेक समेत अन्य पूजाएं की।

मंदिर की परिक्रमा कर नंदी का आशीर्वाद लिया। शंकराचार्य समाधि के दर्शन किए। पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। इसके बाद 9.7 किलोमीटर लंबी 1267 करोड़ की लागत से बनने वाली केदारनाथ रोपवे परियोजना का शिलान्यास किया।

सुबह साढ़े दस बजे प्रधानमंत्री केदारनाथ धाम से बदरीनाथ पहुंचे। भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। वेद पाठ में शामिल हुए और धाम में चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया।

दोपहर साढ़े 12 बजे प्रधानमंत्री देश अंतिम गांव माणा पहुंचे। माणा में जनसभा को संबोधित करने के साथ ही प्रधानमंत्री हेमकुंड साहिब के लिए 13.4 किलोमीटर लंबे 1163 करोड़ की लागत से बनने वाले रोपवे का शिलान्यास किया।

माणा में 1000 करोड़ की लागत से बनने वाली दो सीमांत सड़कों का भी शिलान्यास किया। शाम को प्रधानमंत्री के समक्ष बदरीनाथ धाम महायोजना का प्रस्तुतिकरण किया गया। प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ में ही रात्रि विश्राम किया और शनिवार सुबह देहरादून के लिए रवाना हो गए।

माणा में दो सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को चीन सीमा से लगे देश के अंतिम गांव माणा में दो सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके माध्यम से जहां सीमांत क्षेत्र के गांवों को लाभ मिलेगा, वहीं इनका सामरिक महत्व भी है।

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