22 साल की यात्रा में उत्तराखंड राज्य ने तरक्की के कई मील के पत्थर पार किए

22 साल की यात्रा में उत्तराखंड राज्य ने तरक्की के कई मील के पत्थर पार किए

जवानी की दहलीज पर पहुंच चुके उत्तराखंड के खाते में उपलब्धियों की कई इबारतें हैं। 22 साल की यात्रा में राज्य ने तरक्की के कई मील के पत्थर पार किए। एक आदर्श, आत्मनिर्भर और संपन्न राज्य की मंजिल पर पहुंचने के लिए अभी न जाने कितने माइल स्टोन पार करने हैं।

मगर इन दो दशकों से अधिक की यह विकास यात्रा और अधिक गौरवशाली और प्रेरणादायी होती यदि राजनीतिक अस्थिरता रुकावट बनकर बार-बार सामने नहीं आतीं। दैवीय आपदाओं को तो राज्य के सवा करोड़ लोग मात देते हुए आगे बढ़ गए, मगर राज्य की तकदीर तय करने वाले ही खुदमुख्तारी में इस कदर उलझे कि मंजिलें दूर होती चली गईं। इस उम्मीद के साथ यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के उस कथन के साथ जारी रहेगी कि अगला दशक उत्तराखंड का दशक होगा।

2001: महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण
पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी की सरकार ने 18 जुलाई 2001 को उत्तराखंड मूल की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला लिया गया। इसके बाद आई एनडी तिवारी की सरकार में 24 जुलाई 2006 को इस क्षैतिज आरक्षण को बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया। हाल ही में हाईकोर्ट ने क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगाई थी, जिस पर धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके बाद फिलहाल नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण लागू हो गया है।

2001 आईआईटी के रूप में हुआ परिवर्तित
देश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक आईआईटी रुड़की को वर्ष 1847 में थॉमस कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में स्थापित किया गया था। 1948 में इसे रुड़की विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2001 में इसे आईआईटी रुड़की के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।

2001 देहरादून में आईटी पार्क की स्थापना
राजधानी में सहस्त्रधारा रोड पर आईटी पार्क की स्थापना की गई। तब यह सपना देखा गया था कि देश की नामी गिरानी आईटी कंपनियां यहां अपने दफ्तर खोलेंगी। उसी हिसाब से आईटी पार्क तैयार किया जाना था। धीरे-धीरे आईटी पार्क अपनी मंजिल की ओर बढ़ गया। आज यहां सरकार के साथ ही देश की कई नामी संस्थाओं के दफ्तर खुले हुए हैं।

2002 देहरादून को मिला विधानसभा भवन
राज्य स्थापना के बाद देहरादून को अस्थायी राजधानी के रूप में स्थापित किया गया। उस समय सचिवालय और विधानसभा भवन समेत अन्य विभागीय कार्यालय के लिए आधारभूत ढांचा नहीं था। लिहाजा दून में पहले से स्थापित भवनों में सचिवालय, विधानसभा भवन स्थापित किए गए। रिस्सना नदी किनारे विकास भवन को विधानसभा बनाया गया।

2002-2007 (मुख्यमंत्री एनडी तिवारी)

2002 सिडकुल का हुआ गठन
प्रदेश में उद्योगों की स्थापना और सुविधाओं के अवस्थापना विकास के लिए 2002 में उत्तराखंड राज्य औद्योगिक एवं अवस्थापना विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) का गठन किया गया। सिडकुल की ओर से अब तक प्रदेेश में लगभग 8000 एकड़ भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए। इसमें सेलाकुई, आईटी पार्क, बीएचईएल हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज-एक और फेज दो, सिगड्डी कोटद्वार शामिल हैं। राज्य बनने से पहले प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र के अधीन लगभग दो हजार एकड़ क्षेत्रफल था।

2003 स्थापित हुए नए उद्योग
उत्तराखंड में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज मिला। इस पैकेज की बदौलत में राज्य में नए उद्योग स्थापित करने में तेजी आई। राज्य बनने से पहले प्रदेश में कुल 14163 एमएसएमई उद्योग थे। इसमें 700 करोड़ का निवेश किया गया था, लेकिन विशेष पैकेज से उद्यमी निवेश के लिए उत्तराखंड की तरफ आकर्षित हुए।

2003 देहरादून बना नगर निगम
सरकार ने देहरादून को पुनर्गठित कर इसे नगर निगम घोषित किया। वर्ष 2011 में हरिद्वार और हल्द्वानी नगरपालिकाओं को नगर निगम बनाने के बाद राज्य सरकार ने 2013 में रुद्रपुर, काशीपुर और रुड़की को, और फिर 2017 में ऋषिकेश और कोटद्वार और 31 दिसंबर 2021 को श्रीनगर की नगरपालिका को भी नगर निगम का दर्जा दिया गया।

2004 आईएसबीटी की स्थापना
राज्य बनने के बाद विभिन्न राज्यों से आने वाली बसों को लेकर कोई सुव्यवस्थित जगह नहीं थी। एनडी तिवारी सरकार में वर्ष 2004 में आईएसबीटी की स्थापना की गई। एमडीडीए की ओर से इसका निर्माण किया गया। इससे न केवल प्रदेश के पर्वतीय जिलों बल्कि दूसरे राज्यों के लिए भी बेहतर बस कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदेशवासियों को मिली।

2004  ऋषिकेश एम्स का शिलान्यास
ऋषिकेश में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का शिलान्यास किया गया। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं उत्तराखंड से राज्य सभा सांसद सुषमा स्वराज ने एम्स को मंजूरी दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका शिलान्यास किया। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 2012 से एम्स का संचालन किया गया।

2005 दून विश्वविद्यालय की स्थापना
जेएनयू की तर्ज पर दून विश्वविद्यालय की स्थापना 2005 में हुई। 2009 में इसका पहला अकादमिक सत्र शुरू हुआ, जिसका पहला बैच 2011 में पास आउट हुआ। जून 2022 में इस विश्वविद्यालय में डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केंद्र का लोकार्पण किया गया।

2006 राज्य का नाम परिवर्तन किया गया। जिसमें उत्तरांचल को बदल कर उत्तराखंड किया गया था। केंद्र सरकार ने 29 दिसंबर 2006 को इसकी अधिसूचना जारी की। एक जनवरी 2007 से राज्य का बदला हुआ नाम प्रभावी हो गया। 

2006- ऋषिकेश में जानकी सेतु की आधारशिला रखी थी। इस पुल की कुल लंबाई 346 मीटर है, जो टिहरी को पौड़ी जिले से जोड़ता है। वर्ष 2020 में 20 नवंबर को ऋषिकेश में गंगा नदी पर 49 करोड़ रुपये की लागत से जानकी सेतु (झूला पुल) बनकर तैयार हुआ। इस पुल को बनने में पूरे 14 साल का समय लगा।

2007-2012 (मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी)

2008 108 एंबुलेंस की मिली सौगात
सड़क हादसों व गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने के लिए मई 2008 में उत्तराखंड को इमरजेंसी सेवाओं के लिस् 108 एंबुलेंस की सौगात मिली। वर्तमान में इस सेवा में 800 से अधिक कर्मचारी हैं। इसके अलावा 350 से अधिक एंबुलेंस संचालित हैं। यह सेवा पहाड़ों के लिए लाइफ लाइन साबित हुई है।

2008- जौलीग्रांट एयरपोर्ट शुरू
जौलीग्रांट एयरपोर्ट से पहली बार मार्च 2008 में हवाई सेवाओं का वाणिज्यिकीय संचालन शुरू हुआ। फरवरी 2009 में एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन किया गया। वर्तमान में जौलीग्रांट से बंगलूरू, हैदराबाद, दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ़, लखनऊ समेत देश के अन्य क्षेत्रों के लिए 28 फ्लाइट संचालित हैं। जौलीग्रांट, पंतनगर, पिथौरागढ़ के नैनी सैनी एयरपोर्ट, गौचर में हवाई पट्टी के अलावा 83 हेलीपैड हैं। इसके अलावा उड़ान योजना के तहत जौलीग्रांट से टिहरी, श्रीनगर, गौचर,      चिन्यालीसौड़, पिथौरागढ़, हल्द्वानी के लिए हवाई सेवाएं शुरू की गईं हैं।

2009 एनआईटी की हुई स्थापना
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) पौड़ी जिले के श्रीनगर के सुमाड़ी में है। वर्ष 2009 में स्थापित इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। संस्थान में वर्ष 2010-11 में छात्रों ने अपने पहले बैच को प्रवेश दिया। इसके लिए 300 एकड़ भूमि उपलब्ध है। इसमें पहले चरण में 60 एकड़ में एडम ब्लॉक और 1260 छात्र-छात्राओं के लिए परिसर का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 900 करोड़ रुपये मंजूर हैं।

2009 गढ़वाल विवि बना केंद्रीय विश्वविद्यालय
गढ़वाल विश्वविद्यालय बना केंद्रीय विश्वविद्यालय है। हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना 23 नवंबर 1973 हुई थी। राज्य बनने के बाद केंद्र सरकार ने 15 जनवरी 2009 को गढ़वाल विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया।

2011-उत्तराखंड को प्रबंधन की पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाला इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट (आईआईएम) की सौगात मिली। ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में 200 एकड़ जमीन पर इस संस्थान स्थापना की गई। 

2012-2014 (विजय बहुगुणा)
2013-गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया गया था। जिसके बाद हरीश रावत सरकार में विधानसभा भवन का काम आगे बढ़ा। वर्तमान में भराड़ीसैंण में विधानसभा का भव्य भवन बना है। इसके अलावा मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों के लिए आवास का निर्माण किया गया।

2013-विजय बहुगुणा सरकार के समय पहली बार गैरसैंण में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। कैबिनेट के लिए सरकार के गैरसैंण पहुंचने से पहाड़ के लोगों में नई उम्मीद जगी थी।

2014-2017 (मुख्यमंत्री हरीश रावत)
2013-15 और 16 जून को केदारनाथ में जलप्रलय हुआ। इस आपदा ने केदारनाथ धाम के आसपास सब कुछ तबाह कर दिया। इस आपदा में चार हजार से अधिक लोग काल का ग्रास बन गए।

2013- केदारनाथ आपदा के बाद प्रदेश में एसडीआरएफ की जरूरत महसूस हुई। 9 नवंबर 2013 को राज्य स्थापना दिवस के दिन एसडीआरएफ गठन का शासनादेश जारी किया गया। दो कंपनियों को साथ लेकर मार्च 2014 में एसडीआरएफ अस्तित्व में आ गई।

2014-हरीश रावत सरकार ने पहली बार गैरसैंण के भराड़ीसैंण में तंबू लगा कर विधानसभा सत्र आहुत किया। उस समय भराड़ीसैंण में कोई अवस्थापना विकास नहीं हुआ था। जिससे मंत्रियों, विधायकों समेत अधिकारियों को टेंट में रहना पड़ा।

2016- आलवेदर रोड परियोजना मिली
वर्ष 2016 दिसंबर माह में करीब 12 हजार करोड़ रुपये की 889 किमी लंबी ऑलवेदर रोड परियोजना के काम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। जिसका अब तक करीब 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस परियोजना में भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन में पर्यावरण स्वीकृतियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाई गई थी, लेकिन अब यह अड़चन भी दूर हो गई है। न्यायालय ने सीमांत सुरक्षा और सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए परियोजना निर्माण पर लगाई गई रोक सशर्त हटा ली है। अब भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में 94 किमी मार्ग का चौड़ीकरण हो सकेगा। ऑल वेदर रोड राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित हो रही है।

2017 से 2022 (त्रिवेंद्र सिंह रावत)
2018-प्रदेश सरकार ने 25 दिसंबर 2018 से राज्य आयुष्मान योजना शुरू की गई। इस योजना में प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को पांच लाख तक मुफ्त      इलाज की सुविधा दी गई। अब तक योजना में 48.55 लाख लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। अब तक 5.97 लाख लाभार्थियों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। इस पर सरकार ने 1052 करोड़ की राशि खर्च की है। एक जनवरी 2021 से प्रदेश के सभी राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों को आयुष्मान में राज्य स्वास्थ्य स्कीम के तहत गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की थी।

2019 ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना
वर्ष 2019 में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का शुरू हुआ था। जिसे वर्ष 2024 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र और रेल मंत्रालय की यह महत्वाकांक्षी परियोजना है। 125.20 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर 16 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पर्यटन व सामरिक महत्व की इस परियोजना में 84.24 फीसदी रेलवे ट्रैक सुरंगों के बीच से गुजरेगा। रेल परियोजना के तहत एक सुरंग को 20 किलोमीटर लंबा बनाया जा रहा है, जो हिमालयी राज्यों में सबसे लंबी सुरंग होगी। परियोजना पूरी होने पर ट्रेन 35 पुलों के साथ ही 17 सुरंगों के बीच से गुजरेगी। परियोजना के तहत शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशनों को छोड़कर बाकी सभी 10 स्टेशनों का ज्यादातर हिस्सा भी सुरंगों वाला होगा। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड से जुड़ी चीन की सीमाओं पर सेनाओं को तेजी से पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।

2019- जमरानी बहुद्देशीय बांध परियोजना मिली
कुमाऊं क्षेत्र को जमरानी बहुद्देशीय बांध परियोजना की सौगात इन 22 वर्षों में ही मिली। वैसे तो इस परियोजना का प्रस्ताव 1975 में बना था। लेकिन लंबे समय तक यह परियोजना लटकी रही। वर्ष 2019 में इस बांध परियोजना को केंद्र सरकार की इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस की 17वीं बैठक में मंजूरी मिली। हाल ही में केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) में शामिल करने की स्वीकृति दे दी गई। 2584.10 करोड़ की लागत की इस परियोजना से 57,065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी। 42 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक मिलेगा। 63 मिलियन यूनिट बिजली का हर साल उत्पादन होगा।

2020 डोबरा-चांठी पुल शुरू
टिहरी जिले में बना देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी आम जनता के लिए खोला गया। इस पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। झूला पुल की लंबाई 725 मीटर है, जो भारी वाहनों के चलाने लायक बना है। यह पुल समुद्रतल से 850 मीटर की ऊंचाई पर बना है। पुल की चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें से साढ़े पांच मीटर पर वाहन और बाकी के डेढ़ मीटर पर पुल के दोनों तरफ 75-75 सेंटीमीटर फुटपाथ बनाए गए हैं।

2020-भाजपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सरकार ने 4 मार्च 2020 को भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की थी। इसके साथ उन्होंने गैरसैंण को अलग से मंडल बनाने की एलान किया था। हालांकि मंडल बनाने की घोषणा सिरे नहीं चढ़ पाई है।

admin

Leave a Reply

Share