13 खरब डॉलर के पीएम गतिशक्ति मिशन से चीन से उद्योग खींचेगा भारत, विनिर्माण का केंद्र बनेगा
चीन को आर्थिक मोर्चे पर चारों खाने चित करने और दुनियाभर की कंपनियों को भारत में विनिर्माण का स्वस्थ माहौल व भरोसेमंद ठिकाना देने की रणनीति तैयार है। 13 खरब डॉलर की लागत के पीएम मोदी गतिशक्ति मिशन के जरिये भारत दुनियाभर के निवेशकों के लिए पहली पसंद बनने की ओर बढ़ रहा है। इससे डिजाइन, प्रोडक्शन आदि के मौजूदा गढ़ चीन से यह तमगा हथियाने के लिए भारत तैयार है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में लॉजिस्टिक्स के विशेष सचिव अमृत लाल मीणा ने हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में कहा, सरकार पीएम गतिशक्ति मिशन को बिना देरी और लागत बढ़ाए लागू करने पर काम कर रही है। हमारा उद्देश्य है कि जल्द ही दुनियाभर की कंपनियां भारत को अपने भरोसेमंद ठिकाने के तौर पर देखें। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत पर कंपनियों का कहीं ज्यादा विश्वास है। पारदर्शी नीतियां इसे और बढ़ाने का काम करेंगी।
सस्ती श्रम शक्ति इसके लिए अनिवार्य शर्त है, जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। एक बार कंपनियां आना शुरू करेंगी तो यहां मिलने वाली सुविधाओं के चलते वह तेजी से इसकी अभ्यस्त हो जाएंगी। क्रम शुरू होने के बाद फैक्टरी लगाने वाली कंपनियों की कतार लंबी होती जाएगी।
देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तमाम तरह की बाधाएं थीं। इनमें से कुछ खासी देरी से चल रही थीं तो चार में से एक अपने अनुमानित बजट से अधिक खर्चे की ओर बढ़ रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन समस्याओं पर काबू पाने के लिए प्रौद्योगिकी का सहारा लिया। उनका मानना है कि समस्याओं का निरंतर समाधान प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही संभव है।
16 मंत्रालयों का मंच एक ही जगह उपलब्ध कराएगा समस्त समाधान
मोदी सरकार 16 मंत्रालयों को मिलाकर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है। इस डिजिटल पोर्टल पर निवेशकों और कंपनियों को परियोजनाओं के डिजाइन, निर्बाध अनुमोदन और लागत के आसान अनुमान लगाने के लिए एक ही जगह समस्त सुविधाएं और समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराए जाएंगे।
इन कारणों से हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे चीन के रास्ते
सरकार की फास्ट-ट्रैकिंग परियोजना से भारत को एक अलग फायदा होगा। चीन अब भी बाहरी दुनिया के लिए काफी हद तक बंद है। उसकी नीतियों के बारे में समझना लोकतांत्रिक देशों से ताल्लुक रखने वाली कंपनियों के लिए टेढ़ी खीर है। इसी कारण कंपनियां तेजी से चीन-प्लस-वन नीति अपना रही हैं। अन्य देशों को अपने व्यवसायों और आपूर्ति में विविधता लाने के लिए विस्तार के माध्यम की तलाश है।
एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सस्ते श्रम के साथ ही बड़े पैमाने पर अंग्रेजी बोलने वाले श्रमिकों का एक प्रतिभा पूल भी प्रदान करती है। ऐसे में सिर्फ सीमित बुनियादी ढांचे की कमजोरी और लाल फीताशाही ही उसे कई निवेशकों से दूर रखती है। पीएम गतिशक्ति मिशन इस कमी को पूरा करेगा और दुनियाभर की कंपनियों के सामने भरोसेमंद विकल्प बनाएगा।
लागत की प्रतिस्पर्धा ही ड्रैगन को परास्त करने का एकमात्र तरीका
प्रतिस्पर्धा में ड्रैगन को परास्त करने का एकमात्र तरीका है लागत पर काम करना। लागत कम करने से ही चीन को पीछे कर भारत दुनियाभर की कंपनियों की पहली पसंद बन सकेगा। गतिशक्ति देश की लंबाई और चौड़ाई में माल और निर्मित घटकों के प्रवाह को आसान बनाने और रफ्तार बढ़ाने का जरिया बनेगी।
कोविड महामारी ने धीमी की रफ्तार, लेकिन थमी नहीं भारत की प्रगति
सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार आधारभूत ढांचे का विकास कर ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने पर काम कर रही है। 2019 में आई कोविड-19 महामारी के कारण दो साल तक आर्थिक प्रगति कुछ धीमी हुई, लेकिन प्रगति की रफ्तार थमी नहीं। तब भी सरकार ने अपना काम जारी रखा। उस समय देश के लाखों कारखानों ने समय के अनुरूप खुद को ढालकर कर्मचारियों को रोजगार उपलब्ध कराना जारी रखा।
हाल ही में एप्पल ने अपने आईफोन 14 का निर्माण भारत मकरने की घोषणा की है। इससे पहले 2018 में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी की स्थापना की थी। देश की ही ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने दुनिया की सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने वाली फैक्टरी को स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। सरकार लोगों को दूरदराज के इलाकों तक कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने पर भी काम कर रही है।