राष्ट्रीय खेल: उत्तराखंडी संस्कृति की झलक, खिलाड़ियों के लिए खास आयोजन
28 जनवरी को उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य शुभारंभ होने जा रहा है। रायपुर स्थित राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को भव्य बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। उद्घाटन समारोह में उत्तराखंडी बैंड पांडवाज, बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल और इंडियन आइडल फेम पवनदीप राजन अपनी लाइव प्रस्तुति देंगे। इस आयोजन में देशभर से आए करीब 10 हजार खिलाड़ी उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति से रूबरू होंगे।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। राष्ट्रीय खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए पिछले कई महीनों से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हालांकि, 28 जनवरी को होने वाला उद्घाटन समारोह खास है, क्योंकि इस दिन सभी खिलाड़ी और मेहमान उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं को करीब से जान पाएंगे।
पांडवाज के कार्यक्रम में 1200 बच्चों की खास भूमिका
बैंड पांडवाज के विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में 1200 स्कूली बच्चे हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम के दौरान ये बच्चे विभिन्न आकृतियां, जैसे मौली और बुरांश के फूल, बनाकर प्रस्तुति को आकर्षक बनाएंगे। पांडवाज ने राष्ट्रीय खेलों के लिए एक थीम सॉन्ग भी तैयार किया है, जिसमें उत्तराखंड की लोक धुनों और पहाड़ी वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया गया है। गढ़वाली, कुमाऊंनी और हिंदी में तैयार इस गीत को गढ़वाली में प्रेम मोहन डोभाल और कुमाऊंनी में दीपक मेहता ने लिखा है, जबकि इशान डोभाल ने इसका संगीत दिया है।
उत्तराखंडी कलाकारों को मिलेगा बड़ा मंच
इस बार राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में केवल उत्तराखंडी कलाकारों को प्रस्तुति का मौका दिया गया है, जिससे कलाकारों में खासा उत्साह है। पांडवाज ग्रुप के कुणाल डोभाल ने बताया कि यह पहला मौका है जब किसी बड़े आयोजन में उत्तराखंडी कलाकारों को प्राथमिकता दी गई है। इससे पहले आमतौर पर ऐसे आयोजनों में बॉलीवुड कलाकारों को बुलाया जाता था। पांडवाज ग्रुप ने अब तक प्रदेश के कई जिलों में प्रस्तुति दी है और लोगों से भरपूर प्यार मिला है।
मौली: उत्तराखंड का सांस्कृतिक प्रतीक
राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर मौली खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मौली को पांडवाज ग्रुप ने उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया है। यह शुभंकर जहां भी जाता है, वहां लोगों का भरपूर प्यार और स्वागत पाता है।
उत्तराखंड के इस ऐतिहासिक आयोजन से न केवल खिलाड़ियों को खेलों का उत्साह मिलेगा, बल्कि राज्य की लोक संस्कृति को भी नई पहचान और गौरव प्राप्त होगा।