शहरी आबादी क्षेत्र में रातभर घूम रहे हाथी, गुलदार और मगरमच्छ, लोगों में दहशत
रातभर शहर के आबादी क्षेत्र में हाथी, गुलदार और मगरमच्छ की दहशत रही। कहीं स्कूल में गुलदार पहुंच गया तो कहीं कॉलोनियों में रातभर हाथियों का झुंड टहलता रहा। मगरमच्छ भी एक कॉलोनी में आ धमका। इससे शहर के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिए वन विभाग की ओर से टीमों का गठन कर दिया गया है। एक टीम भेल की ओर से भी उपलब्ध कराई गई है, जो वन विभाग के साथ मिलकर गश्त करेगी।
छह घंटे दहशत में रहे कई कॉलोनी के लोग
किसानों के खेतों में खड़ी धान की फसल तैयार हो रही है। धान की बालियां पकने लगी हैं। इसके कारण राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलकर जंगली जानवर धान की फसल का स्वाद चखने के लिए किसानों के खेतों में पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि तीन हाथियों का एक झुंड रात में लगभग 11 बजे संता एन्कलेव में पहुंच गया। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंची लेकिन हाथी एक कॉलोनी से निकलकर दूसरे कॉलोनी में पहुंचते रहे। इससे टीम कनखल के राजा गार्डन, जमालपुर, खोखरा से होते हुए पंजनहेड़ी मिस्सपुर में पहुंच गई। यहां गश्ती टीम ने उन्हें अलसुबह करीब पांच बजे वापस जंगल में खदेड़ा। कॉलोनियों में हाथियों में घुसने की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई।
केंद्रीय विद्यालय में घुसा गुलदार
भेल के बड क्षेत्र में कई दिनों से एक गुलदार भी पहुंच रहा है। रात करीब 11 बजे भेल के सेक्टर चार में स्थित केंद्रीय विद्यालय के परिसर में गुलदार घुस गया। गुलदार होने की जानकारी मिलने पर गश्त कर रही टीम मौके पर पहुंची। उसने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद 12 बजे गुलदार को विद्यालय परिसर से बाहर जंगल में खदेड़ा।
मगरमच्छ आने से मची अफरातफरी
भेल की टीम भी संभालेगी मोर्चा
भेल क्षेत्र में हाथियों और गुलदार की चहलकदमी को रोकने के लिए भेल की टीम भी एक गाड़ी के साथ मोर्चा संभालेगी। यह टीम जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र में आने से वन विभाग की गश्त टीम के साथ रहेगी। वन विभाग ने भेल प्रबंधन को क्षेत्र में खड़ी झाड़ियों को काटने के निर्देश भी दिए हैं ताकि झाड़ियों में जंगली जानवर न ठहर सकें।
धान की फसल तैयार होने से हाथी आबादी क्षेत्र की तरफ रुख कर रहे हैं। जगजीतपुर क्षेत्र में आने वाले हाथियों को रोकने के लिए 15 कर्मचारियों की टीम को लगा दिया गया है ताकिहाथियों को आबादी में आने से रोका जा सके।
– दिनेश प्रसाद नौड़ियाल, रेंजर हरिद्वार