उत्तराखंड के 52 प्राथमिक विद्यालयों को मिला आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार
इस अवसर पर शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने विद्यालयों के पुस्तकालयों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सुव्यवस्थित पुस्तकालय छात्रों के अध्ययन की संस्कृति को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालयों से न केवल छात्र बल्कि समुदाय के अन्य लोग भी लाभान्वित हो सकते हैं। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने पुरस्कृत विद्यालयों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपने पुस्तकालयों को सुव्यवस्थित रखा है। इसके अलावा, अपर राज्य परियोजना निदेशक मुकुल कुमार सती ने बताया कि निपुण भारत मिशन के तहत भाषा और संख्या ज्ञान को प्रोत्साहित करने के साथ ही विद्यालयों के पुस्तकालयों को भी बेहतर बनाने का प्रयास जारी है।
इस समारोह का आयोजन समग्र शिक्षा की ओर से ‘रूम टू रीड’ के सहयोग से किया गया। समारोह में शिक्षा और पुस्तकालय से संबंधित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियालय, रूम टू रीड के प्रोग्राम डायरेक्टर इंडिया शक्तिधर मिश्रा, और अपर निदेशक एससीईआरटी आशारानी पैन्यूली प्रमुख रूप से शामिल थे।
सम्मानित प्रधानाध्यापक
उत्तराखंड में समग्र शिक्षा अभियान के तहत आयोजित आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार समारोह में 52 प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस समारोह का आयोजन राज्य के शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान की अध्यक्षता में किया गया, जहां प्रधानाध्यापकों को उनके विद्यालयों में पुस्तकालयों को सुव्यवस्थित करने और छात्रों के लिए अध्ययन की आदतों को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार दिए गए।
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सम्मानित प्रधानाध्यापकों की सूची
प्रदेश के विभिन्न जिलों के जिन प्रधानाध्यापकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उनमें शामिल हैं:
- अल्मोड़ा जिले से: राम सिंह सैनी, गणेश पालीवाल, गीता खत्री, नविता वर्मा
- बागेश्वर जिले से: बलवंत कालोकोटी, नीता अल्मिया, ख्याली दत्त शर्मा, विष्णुदत्त जोशी
- चमोली से: दमयंती रावत, शशि कंडवाल, किरन पुरोहित, राजेंद्र सिंह नेगी
- चंपावत से: रेखा बोरा, मीता वर्मा, कमलेश जोशी, खड़क सिंह बोरा
- देहरादून से: नीलम मेहता, गीता लिंगवाल, नीरा देवी, रेखा देवी
- हरिद्वार से: रोबिन कुमार, धर्मवीर, पंकज कुमार चौहान, मंजू लता
- नैनीताल से: ममता गुप्ता, अनीता पाठक, पुष्पा सुयाल, संजय बिष्ट
- पौड़ी से: आशा बुडाकोटी, कल्पना तिवारी, भूपेंद्र सिंह, अंजू कुकरेती
- पिथौरागढ़ से: जीवन सिंह नेगी, कमान सिंह, ज्योति कोहली, दिनेश भंडारी
- रुद्रप्रयाग से: कुसुम सती, विजयराम गोस्वामी, सुलेखा, देवेश चंद्र भट्ट
- टिहरी से: रविंद्र कठैत, शक्ति प्रसाद उनियाल, महावीर उनियाल, विजय सिंह रावत
- ऊधमसिंह नगर से: मुकुल अरोड़ा, धर्मपाल गंगवार, राकेश सिंह, विमल कुमार
- उत्तरकाशी से: सरिता, मंजित रावत, संजय कुकशाल, रमेश पंवार
प्रधानाध्यापकों के उत्कृष्ट प्रयास
इन प्रधानाध्यापकों ने अपने विद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई विद्यालय दूरदराज और संसाधनविहीन क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां बच्चों को पढ़ने के संसाधन मिलना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद, इन प्रधानाध्यापकों ने कड़ी मेहनत से अपने पुस्तकालयों को सुव्यवस्थित किया और छात्रों को पुस्तकालय का अधिकतम लाभ दिलाने का प्रयास किया। विषम परिस्थितियों में काम करने के बावजूद, इन प्रधानाध्यापकों ने पुस्तकालयों को छात्रों के लिए सुलभ और उपयोगी बनाने का अनूठा कार्य किया। कई विद्यालय ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं जहां संसाधनों की कमी होती है, लेकिन इन प्रधानाध्यापकों ने रचनात्मक तरीके अपनाकर अपने विद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थापना की और छात्रों को पढ़ने की आदत डालने का प्रयास किया।
आदर्श पुस्तकालय की परिभाषा
इन पुरस्कारों का उद्देश्य उन प्रधानाध्यापकों और विद्यालयों को प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपने विद्यालयों के पुस्तकालयों को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाने में उत्कृष्ट कार्य किया। आदर्श पुस्तकालय वह होता है, जो न केवल पुस्तक संग्रह की दृष्टि से समृद्ध हो, बल्कि उसे सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने की क्षमता भी रखता हो। ऐसे पुस्तकालय छात्रों के अध्ययन की आदतों को बढ़ावा देते हैं, उन्हें नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, और समुदाय के लिए एक ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।