आपदा प्रबंधन विभाग व आईआरआई के बीच समझौता

आपदा प्रबंधन विभाग व आईआरआई के बीच समझौता

आने वाले दिनों में उत्तराखंड की बड़ी नदियों में जलस्तर बढ़ेगा तो आपदा प्रबंधन विभाग को इसका तुरंत अलर्ट मिल जाएगा। बांधों की डाउन स्ट्रीम में भी ऑटोमेटिक सेंसर लगेंगे। बड़ी नदियों और बांधों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए बुधवार को राज्य सचिवालय में आपदा प्रबंधन विभाग और सिंचाई अनुसंधान संस्थान (आईआरआई), रुड़की के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा के मुताबिक, आईआरआई की ओर से समझौता ज्ञापन पर सिंचाई विभाग प्रमुख अभियंता दिनेश चंद्रा ने हस्ताक्षर किए।

आईआरआई राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत नदियों में यह तंत्र विकसित कर रही है। इस समझौते के मुताबिक, दोनों संस्थाओं के बीच जल संसाधन संबंधी आंकड़े साझा हो सकेंगे। राज्य में बड़ी नदियों का रियल टाइम डाटा प्राप्त होगा और बाढ़ पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित हो सकेगा। इस अवसर सभी जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़े प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था। उन सभी से रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करने में सहयोग करने की अपील की गई।

नदियों का जलस्तर मापने के लिए लगेंगे सेंसर
समझौते के तहत राज्य की बड़ी नदियों में जल स्तर मापने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर की मदद से एक ही जगह पर रियल टाइम डाटा की जानकारी मिलती रहेगी।

आपदा कंट्रोल रूम से सीधे जुड़ेगा तंत्र
रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए विकसित तंत्र राज्य सचिवालय में बने आपदा प्रबंधन विभाग के कंट्रोल से सीधे जुड़ेगा। यानी नदियों और बांधों में लगाए गए सभी सेंसर से सारा डाटा आपदा कंट्रोल रूम को प्राप्त होता रहेगा।

रियल टाइम में जारी हो सकेगी चेतावनी
आपदा कंट्रोल रूम को प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर बाढ़ के खतरे की स्थिति रियल टाइम में चेतावनी जारी हो सकेगी।

मैनुअल सेंसर की जगह ऑटोमेटिक सेंसर लगेंगे
पहले चरण में सभी नदियों से मैनुअल सेंसर हटाकर उनकी जगह ऑटोमेटिक सेंसर लगाए जाएंगे। केंद्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत ये सेंसर लगाए जाएंगे।

बांधों पर लगेंगे ऑटोमेटिक सेंसर और सायरन
समझौते के तहत राज्य के सभी बांधों की अपस्ट्रीम में ऑटोमेटिक सेंसर लगेंगे और
डाउन स्ट्रीम में ऑटोमेटिक सायरन स्थापित होंगे।

नदियों और बांधों के जल स्तर को मापने के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम आपदा प्रबंधन में बहुत मददगार होगा। एक ही जगह डाटा प्राप्त होने से चेतावनी तंत्र प्रभावी हो सकेगा। दो महीने में यह तंत्र तैयार कर लिया जाएगा।

admin

Leave a Reply

Share