वन उपज पर मंडी शुल्क मामले में मंडी परिषद और वन विकास निगम के बीच हुआ अनुबंध
वन उपज पर मंडी शुल्क वसूलने के लिए मंडी परिषद और वन विकास निगम के बीच मसला सुलझ गया है। अब वन विकास निगम ही लकड़ी की नीलामी पर 2.50 मंडी शुल्क की वसूली करेगी। शुल्क से प्राप्त होने वाले राजस्व में वन विकास निगम 10 प्रतिशत राशि अपने पास रखेगा। शेष राशि मंडी परिषद को दी जाएगी। इस संबंध में निगम और मंडी परिषद के साथ बीच अनुबंध होने के बाद मंडी शुल्क वसूली के लिए निगम के प्रबंध निदेशक एसपी सुबुद्धि ने आदेश जारी किए हैं।उत्तराखंड कृषि उत्पादन (विपणन एवं विनियमन) अधिनियम के तहत अब प्रदेश भर में वन उपज पर मंडी शुल्क वन विकास निगम के माध्यम से लिया जाएगा।
शुल्क को लेकर चल रही थी रॉर
अधिनियम के तहत 2011 में निगम ही मंडी शुल्क की वसूली करता था, लेकिन 2020 में प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के मॉडल एक्ट कृषि उत्पादक एवं पशुधन विपणन को लागू किया। इसके तहत मंडी परिषद की वन उपज पर मंडी शुल्क वसूलने लगी, जिससे मंडी परिषद और वन विकास निगम के बीच शुल्क को लेकर रॉर चल रही थी। अब मसला सुलझ गया है।
मंडी शुल्क की वसूली पर हुए अनुबंध पर मंडी परिषद के प्रबंध निदेशक आशीष भटगाईं और वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक शेर सिंह ने हस्ताक्षर किए। अनुबंध के अनुसार निगम की ओर से मंडी शुल्क से प्राप्त राजस्व का 10 प्रतिशत अपने खर्च के लिए इस्तेमाल करेगा। शेष राशि संबंधित मंडी समितियों के बैंक खातों में जमा की जाएगी।