एम्स ऋषिकेश में रेबीज नियंत्रण पर सीएमई का आयोजन, वन हेल्थ अप्रोच से बहुस्तरीय रणनीति पर जोर

एम्स ऋषिकेश में रेबीज नियंत्रण पर सीएमई का आयोजन, वन हेल्थ अप्रोच से बहुस्तरीय रणनीति पर जोर

ऋषिकेश, 18 जुलाई — अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में सामुदायिक चिकित्सा विभाग और सेंटर फॉर एक्सीलेंस वन हेल्थ के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को “रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण हेतु वन हेल्थ अप्रोच” विषय पर सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पशु चिकित्सा, चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया और रेबीज पर बहुस्तरीय रणनीति के तहत संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर टीकाकरण, जागरूकता और विभागीय समन्वय से शत-प्रतिशत रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि “वन हेल्थ अप्रोच” के माध्यम से पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच के रिश्तों को समझना और साझा रणनीति बनाना बेहद जरूरी है।

विशिष्ट अतिथि एम्स रायबरेली के सामुदायिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. भोला नाथ ने कहा कि रेबीज केवल एक चिकित्सकीय समस्या नहीं, बल्कि एक बहुआयामी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है, जिसका समाधान मानव-पशु संपर्क और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए ही संभव है। सीएमई में डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन रिसर्च प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या श्री, सीएफएम प्रमुख प्रो. वर्तिका सक्सेना, डॉ. रंजीता कुमारी, डॉ. महेन्द्र सिंह, डॉ. योगेन्द्र मथुरिया, पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित अरोड़ा सहित कई अन्य विशेषज्ञों ने विचार रखे।

वन हेल्थ प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने रेबीज की महामारी विज्ञान (एपिडेमियोलॉजी) पर जानकारी देते हुए बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल विश्व में लगभग 50,000 लोगों की मृत्यु रेबीज से होती है, जबकि अकेले भारत में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले दर्ज हो चुके हैं।

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कार्यक्रम में रेबीज की रोकथाम के लिए पालतू और आवारा पशुओं के नियमित टीकाकरण, जांच प्रयोगशालाओं की प्रभावशीलता, जागरूकता अभियानों की निरंतरता तथा विभिन्न विभागों के बीच सहयोग जैसे अहम बिंदुओं पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में डॉ. सुरेखा किशोर, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. स्मिता सिन्हा, डॉ. प्रियंका नैथानी, नीरज रणकोटी, दीक्षा, नीरजा भट्ट सहित एम्स के एसआर, जेआर, और वन हेल्थ प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

Saurabh Negi

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