अजय भट्ट को नहीं पता यशपाल आर्य ने BJP क्यों छोड़ी, बोले- ना हमने किसी को बुलाया ना जाने से रोका

अजय भट्ट को नहीं पता यशपाल आर्य ने BJP क्यों छोड़ी, बोले- ना हमने किसी को बुलाया ना जाने से रोका

केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने यशपाल आर्य के कांग्रेस में जाने के सवाल पर कहा कि हमने पहले न किसी को बुलाया था और अब न किसी को जाने से रोका है। लालकुआं में दीवार लेखन कार्यक्रम में शामिल होने को पहुंचे मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि आज कांग्रेस में जाने के बाद यशपाल आर्य सुकून में होने की बात कह रहे है। लेकिन यह बात समझ में नहीं आ रही है कि वह जब पांच साल पहले भाजपा में आए थे तब न जाने उन्हें कांग्रेस में क्या दिक्कत थी और आज कांग्रेस में क्या परिवर्तन हो गया कि उन्हें सकून महसूस होने लगा। जबकि कांग्रेस के शीर्ष से लेकर स्थानीय स्तर के कांग्रेस में कोई भी परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है।

बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का प्रयास जारी

उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के लिए वह प्रयासरत है। वन भूमि होने के कारण कुछ अडंचनें आ रही है, जिनका निस्तारण किया जाएगा। लालकुआं नगर पंचायत के विस्तारीकरण को लेकर भी राज्य सरकार गंभीर है। इससे पूर्व उन्होने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ दीवार लेखन कार्यक्रम में दीवार पर कमल के फूल का निशान बनाया। इस अवसर पर उनके साथ भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, मंडल अध्यक्ष नारायण बिष्ट, दीपक जोशी, भाजपा नेता हेमंत नरूला, लक्ष्मण खाती, चौधरी सर्वदमन सिंह, डा0 राजकुमार सेतिया, मुकेश सिंह, अरुण बाल्मिकी, संजय अरोरा, बॉबी सम्मल, हरीश नैनवाल समेत तमाम लोग मौजूद थे।

रामलीला के राग व गीत में लीन हो गए केंद्रीय राज्यमंत्री

नवरात्रि में हर जगह रामलीला मंचन के दौरान हर जगह का माहौल राममय हो रहा है। ऐसे में रामलीला की राग गुन-गुनाकर पुराने कलाकार भी अपनी स्मृतियों को ताजा कर रहे हैं। गुरुवार को केंद्रीय पर्यटन व रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के समक्ष राग रागनी गाने के साथ ही अपनी स्मृतियों को ताजा किया। लालकुआं पहुंचे अजय भट्ट ने कहा कि मैंने द्वाराहाट व पिथौरागढ़ की रामलीला में रावण को छोड़कर सभी पात्रों का अभिनय किया है। उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ में उनके बड़े भाई ने दशरथ का अभिनय किया था और उन्होंने कौशल्या का पाठ खेला था। उसके बाद घर आकर उनकी भाभी उन्हें सौतन कहके बुलाने लगीं। उनकी इस बात पर वहां पर ठहाके गूंजने लगे।

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