दुनिया के करीब सात देश इस समय कोरोना वैक्सीन पर काम रहे, भारत में भी चल रहा ह्यूमन ट्रायल

दुनिया के करीब सात देश इस समय कोरोना वैक्सीन पर काम रहे, भारत में भी चल रहा ह्यूमन ट्रायल

दुनिया इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। इन सबके बीच अब सभी की निगाहें विभिन्न देशों में चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर टिकी हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक हर संभव कोशिश कर कोरोना वैक्सीन खोजने में जुटे हुए हैं। दुनिया के कई देशों के सैकड़ों वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की वैक्सीन विकसित करने पर लगातार काम किया जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक अलग-अलग जगहों पर वैक्सीन को विकसित करने में लगे हैं।

वर्तमान समय में दुनिया में कोरोना वैक्सीन को लेकर 120 से ज्यादा प्रतिभागी काम कर रहे हैं। इनमें से 13 वैक्सीन मानव ट्रायल फेज में पहुंच चुकी हैं।चीन की सबसे ज्यादा वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल स्टेज में है। चीन में 5, ब्रिटेन में 2, अमेरिका में 3, रूस ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में 1-1  कोरोना वैक्सीन मानव ट्रायल फेज में हैं। अगर वैज्ञानिक वैक्सीन को विकसित करने में सफल हो जाते हैं तो इस महामारी संकट से ना सिर्फ लोगों को आजादी मिलेगी बल्कि इससे लाखों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी। आइए जानते हैं भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल की प्रक्रिया फिलहाल कहां तक पहुंची है।

1. भारत

भारत की बात करें यहां फिलहाल दो कोरोना वैक्सीन- कोवाक्सिन(Covaxin)और  जायकोव-डी(Zycov-D) का मानव ट्रायल(Human Trial) चल रही है। इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में आज से देश की पहली स्वदेश कोरोना वैक्सीन Covaxin का मानव ट्रायल शुरू हो रहा है। कोवाक्सिन(Covaxin)  का ट्रायल एम्स में पहले फेज में 100 लोगों पर किया जाएगा। एथिक्स कमेटी ने इसके लिए अनुमति दे दी है। बता दें कि पटना एम्स और रोहतक के पीजीआई में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल पहले ही शुरू हो चुका है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आइसीएमआर) और भारत बायोटेक ने मिलकर देश की पहली स्वदेशी कोरोनाॉ वैक्सीन कोवाक्सिन(Covaxin) तैयार किया है। इसके 15 अगस्त को लॉन्च होने की भी ख़बरें हैं।

वहीं, भारत की दूसरी कोरोनो वैक्सीन को देश की नामी दवा निर्मात कंपनी जायडस कैडिला(Zydus Cadilla) तैयार किया है। जायइस कैडिला की कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी(ZyCov-D) का मानव ट्रायल शुरू हो चुका है। कंपनी ने मानव ट्रायल में 1048 लोगों को शामिल किया है। इस बीच जायडस कैडिला ने कहा है कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अगले साल फरवरी या मार्च तक पूरा करने की योजना बना रही है। कंपनी के चेयरमैन पंकज पटेल ने शुक्रवार को कहा कि यदि वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा, तो वह 10 करोड़ खुराक का एक साल में उत्पादन करेगी।

2. ब्रिटेन

दुनियाभर में लोगों को सबसे ज्यादा आशा ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से हैं। यहां चल रहे कोरोना वैक्सीन के मानव ट्रायल से सबसे अधिक उम्मीदें हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी(Oxford University) के वैज्ञानिकों ने AZD1222 नाम की एक कोरोना वैक्सीन बनाई है, जिसे कोरोना महामारी को रोकने के लिए काफी कारगर माना जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी(Oxford University) के वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ जरूर काम करेगी।

शोधकर्ताओं के मुताबिक फिलहाल इस वैक्सीन का मानव ट्रायल चल रहा है। शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना का टीका विकसित करने में उन्हें सफलता मिल सकती है। शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की टीम ने पता लगाया है कि इंसानों पर शुरुआती चरण के परीक्षण के बाद कोरोना के खिलाफ यह टीका दोहरी सुरक्षा प्रदान कर सकता है। शोध में पता चला कि वैक्सीन ने ट्रायल में इंसानी शरीर को एंटीबॉडी और मारने वाला टी-सेल दोनों बनाने के लिए प्रेरित किया है।

3. रूस

रूस ने कुछ दिनों पहले ही जानकारी दी था कि उसने दुनिया का पहला कोरोना वैक्सीन विकसित कर लिया है। वह अगले महीने कोरोना वैक्सीन लॉन्च कर सकता है। रूस के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन अगस्त में लॉन्च हो जाएगी। गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी (Gameleigh National Research Center for Epidemiology and Microbiology) के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि वैक्‍सीन 12 से 14 अगस्त तक लोगों को दी जाने लगेगी।

रूस ने कहा है कि वह इस सालघरेलू स्तर पर कोरोना वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की योजना बना रहा है। गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में इस कोरोना वैक्सीन का मानव ट्रायल 18 जून से शुरू हुआ था।

4. अमेरिका

अमेरिका में कोरोना वैक्सीन का मानव ट्रायल अंतिम चरण में पहुंचने जा रहा है। मॉडर्ना(Moderna) कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम फेज के ट्रायल की तैयारी कर रही है। कंपनी के अनुसार, 27 जुलाई को इस ट्रायल को शुरू किया जा सकता है। मॉडर्ना के मुताबिक अमेरिका की 87 जगहों पर इसका ट्रायल आयोजित किया जाएगा। इसके इंसानों पर परीक्षण के लिए 30,000 लोगों को शामिल किया जाएगा। बता दें कि मॉडर्ना(Moderna) की कोरोना वैक्‍सीन दुनिया की सबसे ऐडवांस्‍ड वैक्‍सीन में शामिल है।

5. चीन

चीन में फिलहाल पांच संभावित कोरोना वैक्सीन विकसित की जा रही है। यह सभी ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं। वुहान इंस्टीट्यूट और सीनाफॉ‌र्म्स दूसरे चरण में हैं। सिनोवैक और इंस्टीट्यूटो बुटेंटेन वैक्सीन को विकसित करने के तीसरे चरण में हैं। वहीं सैन्य उपयोग के लिए कैनसिनो बायोलॉजिकल और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक को वैक्सीन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मंजूरी दी गई है। साथ ही बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्ट्स और सीनाफॉ‌र्म्स संभावित वैक्सीन के दूसरे चरण में पहुंचे हैं।

इस बीच बांग्लादेश ने चीन के सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड(Sinovac Biotech Ltd) द्वारा विकसित एक संभावित COVID-19 वैक्सीन के तीसरे फेज के परीक्षण को मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन के परीक्षण में सफल होने के बाद बांग्लादेश को भी इसका फायदा होगा।

कई अन्य देशी भी कोशिश में जुटे 

भारत, ब्रिटेन, अमेरिका समेत बड़े देशों के अलावा कई और देश भी कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। जर्मनी में बायोएनटेक, पीफाइजर और फोसन फार्मा संभावित वैक्सीन बनाने के दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया का वैक्सीन पैटी लिमिटेड और मेडिटॉक्स पहले चरण में पहुंचे हैं।

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