राज्य में लगातार बढ़ रही बिजली की जरूरतों के बीच उपलब्धता बनी बड़ी चुनौती
उत्तराखंड को लगातार प्रयास के बावजूद 25 या 10 साल के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के लिए कंपनी नहीं मिल रही है। लांग टर्म का आखिरी पीपीए एसजेवीएनएल से 200 मेगावाट का सोलर ऊर्जा का हुआ है जबकि मीडियम टर्म के लिए टेंडर निकालने के बावजूद 300 मेगावाट के सापेक्ष 40 मेगावाट का ही विकल्प मिला है। राज्य में लगातार बढ़ रही बिजली की जरूरतों के बीच उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन रही है। हालात ये हैं कि यूपीसीएल की कोशिशों के बावजूद मीडियम टर्म यानी 10 साल तक के लिए बिजली खरीदने को कंपनी नहीं आ रही हैं। आलम ये है कि यूपीसीएल ने मीडियम टर्म के लिए एक टेंडर निकाला। कंपनी आई लेकिन उसके बिजली के दाम सात रुपये थे, जिससे आपूर्ति, लाइन लॉस आदि के बाद दाम करीब आठ रुपये तक आते। लिहाजा, यह टेंडर स्क्रैप करना पड़ा।
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इसके बाद यूपीसीएल ने 300 मेगावाट का तीन साल का दूसरा मीडियम टर्म टेंडर निकाला। इसमें भी कोई कंपनी नहीं आई। सात बार तिथि बढ़ाई तब जाकर एक कंपनी 40 मेगावाट का 6.48 रुपये का ऑफर लेकर आई है। लांग टर्म का देखें तो पिछले दिनों आखिरी लांग टर्म पीपीए 25 साल के लिए एसजेवीएनएल से किया गया, जो 200 मेगावाट का है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने पिछले दिनों इस मामले को लेकर यूपीसीएल से जवाब भी मांगा है।