बद्रीनाथ महायोजना 2025 : बदरीनाथ धाम में 13 सूत्रीय मांगों पर आंदोलन तेज, SDM और DM से वार्ता विफल

बदरीनाथ धाम में बदरीश संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय नागरिकों का 13 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा धरना-प्रदर्शन लगातार उग्र रूप लेता जा रहा है। मंगलवार को प्रशासन की ओर से आंदोलन समाप्त कराने के लिए ज्योतिर्मठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ मौके पर पहुंचे। उन्होंने आंदोलनकारियों की बात सुनने के बाद जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता कराई।
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को मुख्यमंत्री तक भेज दिया गया है और जल्द समाधान निकाला जाएगा। लेकिन, आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि केवल मौखिक भरोसे से वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। उनका कहना है कि जब तक लिखित रूप से मांगें पूरी होने की घोषणा और ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।
आंदोलन की मुख्य वजह — बद्रीनाथ महायोजना 2025
स्थानीय नागरिकों का विरोध मुख्य रूप से बद्रीनाथ महायोजना 2025 के कुछ प्रावधानों को लेकर है। इस योजना का उद्देश्य धाम में ढांचागत विकास, यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाओं का निर्माण और पर्यटन को बढ़ावा देना बताया गया है। इसमें यात्री संख्या को सीमित करने, पार्किंग, नए पैदल मार्ग, एराइवल प्लाज़ा, होटल-धर्मशालाओं के पुनर्विकास जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं।
हालांकि, आंदोलनकारियों का आरोप है कि यह योजना स्थानीय हितों, आजीविका के स्रोतों और सांस्कृतिक परंपराओं पर नकारात्मक असर डालेगी। उनका कहना है कि योजना लागू करने से पहले स्थानीय जनता की राय नहीं ली गई और न ही उनकी जरूरतों पर विचार किया गया।
13 सूत्रीय मांगों में शामिल प्रमुख बिंदु:
यात्रियों की सीमित संख्या के प्रावधान को पूरी तरह समाप्त किया जाए।
बद्रीनाथ महायोजना 2025 का पुनर्वालोकन कर विवादित प्रावधानों को हटाया जाए।
बदरीनाथ धाम को जिला प्राधिकरण के अधीन से बाहर किया जाए।
बामणी और माणा गांव को महायोजना में शामिल न किया जाए।
पारंपरिक तीर्थ यात्रा मार्ग और स्थानीय व्यापार पर असर डालने वाले प्रोजेक्ट रद्द किए जाएं।
योजना में स्थानीय लोगों की सहमति और सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
(बाकी मांगें प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में विस्तार से दर्ज हैं।)
कल मंगलवार को विरोध के तहत एराइवल प्लाज़ा से साकेत तिराहे तक विशाल जन आक्रोश रैली निकाली गई। रैली में सैकड़ों स्थानीय नागरिक शामिल हुए और ‘जनता की राय के बिना योजना नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए गए। साकेत तिराहे पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि यह योजना उनकी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक परंपराओं पर सीधा प्रहार है।
उपजिलाधिकारी व जिलाधिकारी के साथ हुई वार्ता में प्रशासन ने आंदोलनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। आंदोलनकारी अपनी बात पर अड़े रहे और कहा कि जब तक लिखित रूप में उनकी सभी मांगें मान्य नहीं होतीं, तब तक यह विरोध जारी रहेगा।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह विकास परियोजना और स्थानीय हितों के बीच संतुलन बनाकर इस विवाद का समाधान निकाले।
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प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है। स्थिति को देखते हुए आशंका है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो यह विरोध और व्यापक रूप ले सकता है।