बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटाई, 29 लीज़ धारकों को मिली अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर जिले में खड़िया (सोपस्टोन) खनन पर लगी रोक हटा दी है, जिससे 29 वैध लीज़ धारकों को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो लीज़ धारक कानूनी दायरे में काम कर रहे हैं, उन पर उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा blanket ban लगाना उचित नहीं है।
यह मामला SLP (C) 23540/2025 के रूप में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें हाईकोर्ट के 17 फरवरी 2025 के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें जिले में खनन गतिविधियों पर रोक जारी रखी गई थी। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराध्य की दो-judge बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि अनियमितताएँ केवल 9 लीज़ में पाई गई थीं, जबकि 29 लीज़ धारक पूरी तरह वैध रूप से काम कर रहे थे।
बेंच ने कहा कि सभी पर समान रूप से प्रतिबंध लगाना अनुचित है, क्योंकि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है और खनन पर निर्भर लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी अनुमति दी कि स्वीकृत माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय मंज़ूरियों के अनुसार मशीनरी का उपयोग किया जा सकता है। 29 वैध लीज़ों का विवरण याचिका के वॉल्यूम–2 के पृष्ठ 352 से 355 में दर्ज है।
अदालत ने अपने पूर्व आदेश (16 सितंबर 2025) का भी उल्लेख किया, जिसमें लीज़ धारकों को पहले से निकाले और स्टॉक किए गए खनिज को उचित दस्तावेज़ों और रॉयल्टी/पेनल्टी जमा कर बेचने की छूट दी गई थी। हाईकोर्ट को मुख्य पीआईएल की सुनवाई जल्द पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। अगली सुनवाई 23 मार्च 2026 को होगी।




