बालिका सुरक्षा और सशक्तिकरण पर कार्याशाला आयोजित

भवाली – किशोर न्याय समिति, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के तत्वावधान में तथा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से सोमवार को “बालिका सुरक्षा : भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी (उजाला) भवाली में आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा, बाल विवाह और तस्करी की रोकथाम के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के उपायों पर विचार-विमर्श करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य न्यायाधीश श्री गुहानाथन नरेंदर और माननीय न्यायमूर्तिगण—श्री रवींद्र मैथानी, आलोक कुमार वर्मा, राकेश थपलियाल, आलोक माहरा और सुभाष उपाध्याय ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर उजाला द्वारा तैयार जनरल रूल्स (क्रिमिनल) पुस्तिका और पॉक्सो एक्ट 2012 पर सूचना पत्र का विमोचन भी किया गया।
मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंदर ने अपने उद्बोधन में महान तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए बालिकाओं से निर्भीक और आत्मविश्वासी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जागरूकता ही वास्तविक सशक्तिकरण का मार्ग है।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी अगर हमें बाल विवाह, बालिकाओं पर हिंसा और तस्करी जैसे विषयों पर चिंतन करना पड़ रहा है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कानून और योजनाएँ तभी प्रभावी होंगी, जब समाज और सभी हितधारक ईमानदारी से अपना दायित्व निभाएँगे।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने अपने भाषण में पीसीपीएनडीटी एक्ट, एमटीपी एक्ट और पॉक्सो एक्ट की धाराओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत रिकॉर्डिंग ऑफ स्टेटमेंट की प्रक्रिया पर विशेष जोर देते हुए प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया।
अपने स्वागत भाषण में न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने न्यायपालिका और प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थाओं का आपसी समन्वय बालिकाओं के खिलाफ अपराध रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं, न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने संविधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए बालिका सुरक्षा और सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित किया।
कार्यशाला में चार तकनीकी सत्र हुए, जिनमें सचिव महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास श्री चंद्रेश यादव, निदेशक एनएचएम डॉ. रश्मि पंत, पुलिस अधीक्षक निहारिका तोमर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, विषय विशेषज्ञ भारती अली, डॉ. संगीता गौड़, डॉ. मंजू ढौंडियाल, अदिति कौर और कंचन चौधरी ने अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने बालिकाओं के लिए सुरक्षित वातावरण, शिक्षा के अवसर और जागरूकता अभियानों पर बल दिया।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस
समापन भाषण में न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और आशा जताई कि इस कार्यशाला से मिले सुझावों और निष्कर्षों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाएगा।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार जनरल योगेश कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में उजाला अकादमी के निदेशक, यूकेएसएलएसए के सदस्य सचिव, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार, सभी जिलों के जिला जज, पॉक्सो और विशेष न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी, बाल न्यायालय बोर्ड के अध्यक्ष सहित महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस, समाज कल्याण और पंचायती राज विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।