बनभूलपुरा रेल अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे बरकरार रखा, अगली सुनवाई 2 दिसंबर को

सुप्रीम कोर्ट ने बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में अपनी पूर्व की रोक को जारी रखते हुए अगली सुनवाई 2 दिसंबर के लिए निर्धारित की है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ ने की।
यह याचिका अब्दुल मतीन सिद्दीकी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें बनभूलपुरा क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई के दौरान रेलवे, राज्य सरकार और स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए वकीलों ने अपने-अपने पक्ष रखे।
रेलवे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी पेश हुईं, जबकि राज्य की ओर से अभिषेक अत्रेय ने पक्ष रखा। रेलवे ने अदालत के समक्ष कहा कि करीब 30 हेक्टेयर भूमि रेल विस्तार और निर्माण कार्य के लिए आवश्यक है और कब्जा हटाने के लिए जल्द हस्तक्षेप की जरूरत है।
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वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण और अन्य ने तर्क दिया कि जिस भूमि की अब मांग की जा रही है, वह मूल लिखित मांग का हिस्सा नहीं थी। उनका कहना था कि रिटेनिंग वॉल बनने के बाद रेलवे ढांचे को किसी प्रकार का खतरा नहीं है। उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि बनभूलपुरा के निवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्थानांतरित करने का प्रस्ताव उचित नहीं है। इस पर रेलवे पक्ष के वकील ने विरोध जताया।




