संयुक्त राष्ट्र में अल्पसंख्यकों पर चर्चा के दौरान लॉर्ड अहमद (धार्मिक स्वतंत्रता पर यूके के पीएम के विशेष प्रतिनिधि) ने कहा कि ब्रिटेन ने पूरी दुनिया के धार्मिक तबकों और अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाई है। चाहे वे चीन में उइगुर हों या पाकिस्तान में क्रिश्चियन और अहमदी।
वहीं अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने कहा कि हम चीन सरकार द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों को लेकर काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि हम चीनी सरकार से आग्रह करते है कि वह राष्ट्र में सभी के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान करें। सैम ब्राउनबैक ने आगे कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक या तो गैर-राज्य तत्वों के हाथों अभियोजन से या भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं के माध्यम से पीड़ित होते रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार फ़ोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नावेद वाल्टर ने कहा कि आज बड़ी संख्या में लोग अपने समाजों में हाशिए पर हैं। अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपाती व्यवहार अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता है।
चीन सरकार ने लगाई थी मुस्लमानों पर प्रतिबंध
जानकारी के लिए बता दें कि कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ भीषण अत्याचार हो रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों की मानें तो चीन में दस लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक नजरबंदी शिविरों में रहते हैं। यहां उन्हें मजबूर किया जाता है कि वह अपनी राजनीतिक विचार धारा बदलें। इससे पहले वर्ष 2017 में चीन सरकार ने बहुल्य शिंकियांग प्रांत में कथित इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ अभियान चलाया था। जिसके तहत बहुसंख्य आबादी उऊगर मुस्लिमों पर नए प्रतिबंध लगा दिए गए थे। सरकारी आदेश जारी कर कहा गया था कि अब से यहां के मुस्लमान ना तो लंबी दाढ़ी रखेंगे और न ही मुस्लिम महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनेंगी।
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ भेदभाव
मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में अधिकतर हिंदुओं के साथ भेदभाव की खबरें सामने आती रहती है। कई बार ऐसी खबरें आ चुकी है जिनके मुताबिक हिंदु और सिख लड़कियों का अपहरण कर जबरन उनका धर्म परिवर्तन किया गया। यहीं नहीं पाकिस्तान में अहमदी और इसाई समुदाये पर भी हमले किए जाते रहे हैं।