बीपीएससी विवाद: छात्रों का विरोध और सामान्यीकरण प्रक्रिया पर उठे सवाल
बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) की 70वीं कंबाइंड प्रीलिमिनरी परीक्षा विवादों का केंद्र बन गई है। 13 दिसंबर 2024 को आयोजित इस परीक्षा में 4,83,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया, जिनमें से 3,25,000 ने परीक्षा दी। परीक्षा के बाद कई छात्रों ने इसे लेकर सवाल उठाए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।
विवाद की मुख्य वजह सामान्यीकरण प्रक्रिया को लेकर है। सामान्यीकरण का उपयोग तब होता है जब परीक्षा कई पालियों में आयोजित की जाती है और अलग-अलग कठिनाई स्तर के कारण अंकों में असमानता आती है। छात्रों का कहना है कि इससे उनकी मेरिट प्रभावित होगी और वे परीक्षा एक ही पाली में कराने की मांग कर रहे हैं। बीपीएससी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे अफवाह बताया। विरोध प्रदर्शन की एक और वजह पटना के बापू परीक्षा परिसर में परीक्षा के दौरान हुई अनियमितताएं हैं। प्रश्न पत्र देर से मिलने के कारण वहां हंगामा हुआ, जिससे प्रभावित छात्रों के लिए 4 जनवरी 2025 को फिर से परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। छात्रों का कहना है कि केवल एक केंद्र पर पुन: परीक्षा कराना अनुचित है और इससे परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
इसके अलावा, अन्य सेंटर्स पर भी अनियमितताओं की शिकायतें आईं, जैसे सीसीटीवी कैमरों का न चलना और प्रश्न पत्र के स्तर को लेकर असंतोष। छात्रों ने कुछ कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों और परीक्षा के प्रश्न पत्र में समानता का भी आरोप लगाया। बीपीएससी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अगर प्रश्न पत्र आसान था, तो कटऑफ अधिक जाएगा और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, छात्रों का विरोध और राजनीतिक दलों का समर्थन इसे और जटिल बना रहा है।