मानसिक स्वास्थ्य नियमावली को केंद्र की हरी झंडी

मानसिक स्वास्थ्य नीति की नियमावली को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है। आगामी कैबिनेट में इसे मंजूरी दी जा सकती है। प्रदेश में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था।

बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आगामी कैबिनेट में नियमावली को मंजूरी मिल सकती है।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क

प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में 50 हजार जुर्माना

नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार 50 हजार रुपये जुर्माना लिया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर दो लाख रुपये जुर्माना राशि होगी। इसके बाद उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि पांच लाख रुपये से कम नहीं होगी। नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम छह माह की सजा हो सकती है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण को पंजीकरण रद्द करने का अधिकार होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन

नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

केंद्र सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य नीति की नियमावली को मंजूरी दे दी है। शीघ्र ही नियमावली का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा।
– आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

Related articles

Leave a Reply

Share