चौखुटिया के ग्रामीणों का प्लास्टिक कूड़ा डंपिंग योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, जलस्रोत प्रदूषण का खतरा

उत्तराखंड के चौखुटिया विकास खंड के ब्लॉक क्षेत्र में प्लास्टिक कूड़े को डंप करने की योजना के खिलाफ स्थानीय निवासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यह डंपिंग स्थल शिमार गधेरे में प्रस्तावित है, जो ग्राम पंचायत कोट्यड़ा के अंतर्गत तोक शिमार, आदिग्राम कन्हौंणियाँ, और आदिग्राम बंगारी के आबादी क्षेत्र के बीच स्थित है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह योजना उनके जलस्रोतों को प्रदूषित कर देगी, जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर गंभीर असर पड़ेगा।

स्थानीय लोगों का विरोध और चिंता

ग्रामवासियों के अनुसार, इस योजना के तहत चौखुटिया ब्लॉक और आसपास के क्षेत्रों का प्लास्टिक कूड़ा शिमार गधेरे में डंप किया जाएगा। गधेरे का पानी इन गांवों के लोगों के पीने और घरेलू उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों का कहना है कि इस डंपिंग से पानी विषाक्त हो जाएगा, जिससे जल, मिट्टी, वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होगी। स्थानीय लोगों को डर है कि यह जगह धीरे-धीरे गाजीपुर के लैंडफिल जैसी स्थिति में बदल सकती है, जिससे उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

योजना के खिलाफ प्रदर्शन

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले बताया गया था कि यहां एक छोटा कूड़ेदान बनाया जाएगा, लेकिन बाद में पता चला कि पूरे चौखुटिया ब्लॉक और अन्य क्षेत्रों का कूड़ा यहां फेंका जाएगा। ग्रामीणों ने बीते दिनों इस योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और ग्राम प्रधान से भी जवाब मांगा। हालांकि, अभी तक कोई संतोषजनक हल नहीं निकल पाया है।

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और अन्य अधिकारियों ने बिना उचित जानकारी दिए अनापत्ति पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए, जिससे ग्रामीणों को इस योजना के गंभीर परिणामों का अंदाजा नहीं था। स्थानीय लोगों ने इस योजना को रद्द करने की मांग की है और कहा है कि अगर इसे लागू किया गया तो प्रदूषण की समस्या और बढ़ जाएगी।

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प्रदूषण का खतरा और प्रशासन से अपील

स्थानीय निवासियों का कहना है कि कूड़े के डंपिंग से इलाके में बदबू, मच्छरों की बढ़ोतरी, और जंगली जानवरों के छिपने के स्थान बनने का खतरा है, जिससे जनजीवन कठिन हो जाएगा। ग्रामीणों ने उत्तराखंड सरकार से अपील की है कि इस योजना को रद्द किया जाए और प्लांट को आबादी और जलस्रोतों से दूर स्थापित किया जाए।

स्थानीय निवासी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनके क्षेत्र के पानी के स्रोत पहले ही सूख चुके हैं, और यह गधेरा ही उनके लिए पानी का मुख्य स्रोत है। इसके प्रदूषित होने से इलाके के लोग पीने के साफ पानी से वंचित हो जाएंगे।

ग्रामीणों का कहना है कि उनका विरोध अभी छोटा है, लेकिन अगर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो यह विरोध और तीव्र हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से निवेदन किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और क्षेत्रवासियों के हित में उचित कदम उठाएं।

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