मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- राज्य सरकार शहीद की पत्नी को देगी सरकारी नौकरी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- राज्य सरकार शहीद की पत्नी को देगी सरकारी नौकरी

11वीं गढ़वाल रायफल्स के शहीद जवान राजेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शव बुधवार रात करीब पौने आठ बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया। इस दौरान एयरपोर्ट पर शहीद के पिता रतन सिंह नेगी, भाई कुंदन सिंह नेगी और दिनेश नेगी भी मौजूद थे। जम्मू से विशेष विमान से लाए गए शहीद के पार्थिव शव को गढ़ी कैंट स्थित सेना अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। आज सुबह साढ़े सात बजे शहीद का पार्थिव शरीर एमएच से प्रेमनगर अम्बिवाला स्थित उनके घर लाया गया। जहां शहीद के घरवालों को अंतिम दर्शन कराए गए। इसके बाद पूर्व सैनिकों, सेना के अफसरों व स्थानीय माननीयों ने शहीद को सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शहीद के घर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को हरिद्वार ले जाया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद शहीद के पिता, माता, पत्नी व परिजनों से बातचीत की। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में बताया कि राज्य सरकार शहीद के परिजनों की हर संभव प्रयास करेगी। शहीद सम्मान के अलावा राज्य सरकार शहीद की पत्नी को उनकी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी देगी।

सेना में अफसर बनना चाहती हैं शहीद की बेटी अंजली

बारामुला के गुलमर्ग में एवलांच से फिसलकर शहीद हुए 11वीं गढ़वाल रायफल के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी की बेटी अंजली पढ़ लिखकर सेना में अफसर बनना चाहती हैं। अंजली ने कहा कि पिछले छह माह से पापा के लौटने की उम्मीद थी। यह दौर बेहद दुखद था। दादा-दादी और मम्मी बोलते थे कि पापा आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि पापा हमेशा फोन पर कहते थे कि जब छुट्टी पर घर आएंगे तो हवाई जहाज में बैठाकर घुमाने लेकर जाएंगे, लेकिन अब ये सपना रह गया। उन्होंने कहा कि वह पढ़ाई लिखाई करने के बाद सेना में अफसर बनेगी और पापा की तरह ही देश की सेवा करेंगी।

आज सुबह शहीद के पार्थिव शव को अंतिम दर्शनों के लिए उनके अंबीवाला सैनिक कॉलोनी स्थित आवास लाया गया। वहां सेना व शासन-प्रशासन के अधिकारी और रिश्तेदार शहीद सैनिक को नमन किया। इसके बाद हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि की जाएगी। बता दें कि, बीती आठ जनवरी को अनंतनाग में बर्फ में फिसलने से लापता हुए जवान का शव पांच दिन पहले गुलमर्ग में मिला था। हालांकि, माहभर पहले ही सेना ने जवान को शहीद घोषित कर दिया था। शहीद का शव बर्फ पिघलने के बाद मिला। बताया गया कि श्रीनगर स्थित सेना के अस्पताल में कोविड-19 की प्रक्रिया के चलते शहीद जवान के पार्थिव शव को लाने में कुछ देरी हुई है। सैन्य सूत्रों के अनुसार शहीद जवान का शव केमिकल ट्रीटमेंट के बाद लाया गया है।

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