जलवायु परिवर्तन का असर: जनवरी में खिला बुरांश, काफल भी पकने को तैयार

जलवायु परिवर्तन का असर: जनवरी में खिला बुरांश, काफल भी पकने को तैयार

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। धौलछीना और बिनसर अभयारण्य के जंगलों में बुरांश के फूल, जो आमतौर पर मार्च में खिलते थे, इस बार जनवरी के पहले पखवाड़े में ही खिले हैं। इसके अलावा, काफल जैसे मौसमी फल भी समय से पहले पकने को तैयार हैं।

विशेषज्ञ इसे बदलते मौसम चक्र का परिणाम मानते हैं। इस सर्दी में अब तक केवल दो दिनों की बारिश हुई है, जबकि अधिकांश समय शीतकाल शुष्क रहा। कम बर्फबारी और बारिश से पहाड़ों की जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. धनी आर्या ने बताया कि समय से पहले फूलों और फलों का तैयार होना जलवायु परिवर्तन का संकेत है। बारिश और बर्फबारी की कमी से पेड़-पौधों को समय से पहले अनुकूल तापमान मिल रहा है, जिससे वे सामान्य समय से पहले खिलने और फलने लगे हैं। यह स्थिति पर्यावरणीय असंतुलन और प्रदूषण की ओर इशारा करती है, जो चिंताजनक है।

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