सहस्रधारा में बादल फटने के बाद जख्मी पहाड़ों से बच्चों को लेकर भागे लोग

सहस्रधारा में बादल फटने के बाद जख्मी पहाड़ों से बच्चों को लेकर भागे लोग

देहरादून – सहस्रधारा के ऊपर बसे गांव मजाडा, चामासारी और जमाडा में बादल फटने के बाद जो मंजर सामने आया उसने ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया। तबाही के बाद कई परिवार रातों-रात घर छोड़कर पैदल ही सुरक्षित स्थानों की ओर निकल पड़े। इन परिवारों के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे जिन्हें घंटों तक दूध तक नसीब नहीं हुआ।

जमाडा गांव की सुषमा, निशा और पूजा ने बताया कि बादल फटने के बाद उनके घर और खाने-पीने का सामान मलबे में बह गया। मजबूर होकर पूरा परिवार बच्चों को साथ लेकर निकल पड़ा। इस दौरान उनके साथ नौ बच्चे थे जिन्हें पांच घंटे तक दूध नहीं मिल पाया। बच्चे रास्ते भर भूख से बिलखते रहे और उनके होंठ सूख गए।

रास्ता और भी खतरनाक था। चारों ओर अंधेरा, तेज बारिश और बिजली की गर्जना के बीच पहाड़ी रास्तों से गुजरना किसी खतरे से कम नहीं था। जगह-जगह पत्थर गिरने का डर बना रहा। महिलाओं ने बताया कि बच्चों को संभालना और खुद की जान बचाना दोनों बेहद मुश्किल था। कई बार लगा कि शायद अब आगे बढ़ना मुमकिन नहीं होगा, लेकिन किसी तरह वे सहस्रधारा तक पहुंच पाए।

परिवारों का कहना है कि अब उनके पास न घर बचा है और न ही भविष्य की कोई राह। पूजा ने बताया कि उनका बना हुआ घर पूरी तरह ढह गया है। “हम अपनी जान बचाकर यहां तक आ तो गए हैं लेकिन अब आगे कहां जाएंगे, यह नहीं जानते,” उन्होंने कहा।

रात की भयावहता भी लोगों के दिलों में ताजा है। करीब एक बजे पहली बार बादल फटा, जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। थोड़ी देर बाद शांति लौटने पर लगा कि खतरा टल गया है, लेकिन सुबह चार बजे दोबारा घरों की जड़ें हिल गईं। तब ग्रामीण समझ गए कि अब गांव में रहना संभव नहीं है। लोग सीटी और टॉर्च की रोशनी के सहारे एक जगह इकट्ठा हुए और वहां से निकल पड़े।

इसे भी पढ़ें – देहरादून में चारों तरफ तबाही, कहीं बदल फटा तो कही जलस्तर बढ़ा, कई की मौत और कई लापता

बच्चों के चेहरे पर आंसुओं की लकीरें और भूख से सूखे होंठ इस त्रासदी की भयावह तस्वीर बयां करते हैं। मां-बाप के सामने सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को बचाना और उन्हें संभालना था। पहाड़ों की इन जख्मी पगडंडियों ने एक बार फिर आपदा के डरावने सच को सामने ला दिया है।

Saurabh Negi

Share