राज्य स्थापना दिवस से पहले सीएम धामी ने किया पूर्व सैनिक सम्मेलन और जन वन महोत्सव का शुभारंभ

हल्द्वानी/रामनगर: उत्तराखंड के 25वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को दो बड़े कार्यक्रमों का शुभारंभ किया — हल्द्वानी में पूर्व सैनिक सम्मेलन और रामनगर में राज्य स्तरीय जन वन महोत्सव। दोनों ही आयोजन राज्य की वीरता, पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और संतुलित विकास की झलक पेश करते हैं।
“उत्तराखंड की पहचान है साहस और समर्पण” — सीएम धामी
हल्द्वानी के एम.बी.पी.जी. कॉलेज में आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और उनके परिजनों का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की हर परिवार देश की रक्षा में योगदान देता है, इसलिए देवभूमि त्याग और वीरता की भूमि है।
मुख्यमंत्री ने कई कल्याणकारी घोषणाएँ कीं — सैनिक कल्याण विभाग का पुनर्गठन, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और पौड़ी में सैनिक कल्याण कार्यालयों और आवासों का पुनर्निर्माण, शहीदों की विधवाओं की सहायता राशि ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करना तथा हल्द्वानी में सैनिकों के बच्चों के लिए 150 सीटर आधुनिक छात्रावास का निर्माण।
धामी ने कहा, “सैनिक कभी रिटायर नहीं होता, वह जीवनभर सैनिक ही रहता है।” उन्होंने स्वदेशी रक्षा प्रणाली जैसे ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों का उल्लेख करते हुए भारत की आत्मनिर्भरता पर बल दिया। कार्यक्रम में नैनीताल और ऊधमसिंह नगर की 44 वीर नारियों को सम्मानित किया गया।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इसे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण बताया और कहा कि बहुप्रतीक्षित सैन्य धाम जल्द ही उद्घाटित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक 22,000 से अधिक सैनिकों को रोजगार मिला है और हल्द्वानी में 6.4 हेक्टेयर भूमि सैनिक छात्रावास के लिए आवंटित की गई है।
“प्रकृति संरक्षण हमारी संस्कृति में निहित है” — सीएम धामी
रामनगर में मुख्यमंत्री धामी ने राज्य स्तरीय जन वन महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि “प्रकृति की रक्षा हमारी परंपराओं का हिस्सा है। हमारे पूर्वजों ने हमें मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व का संदेश दिया।”
धामी ने कहा कि जन वन महोत्सव जनता और जंगल के अटूट संबंध का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने 1973 के चिपको आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विश्वभर में महिला शक्ति और पर्यावरण चेतना का प्रतीक बन गया। “उत्तराखंड की महिलाओं ने पेड़ों को गले लगाकर दुनिया को संरक्षण और साहस का संदेश दिया,” उन्होंने कहा।
ईको-टूरिज्म और हरित आजीविका को बढ़ावा
सीएम धामी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने प्रकृति, संस्कृति और विकास के बीच बेहतरीन संतुलन कायम किया है। राज्य पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और तकनीक के संतुलन पर काम कर रहा है। वन्यजीव संरक्षण के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, ड्रोन निगरानी और डॉग स्क्वाड का प्रयोग किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि बिजरानी, गिरीजा और ढिकुली जोन में ईको-टूरिज्म परियोजनाओं से हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। महिला सफारी ड्राइवर, नेचर गाइड और ड्रोन पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रमों से युवा आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों से संवाद किया, उनकी चित्रकला की सराहना की और पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने नए राजस्व गांव के गठन, सिंचाई एवं पेयजल परियोजनाओं, सड़क संपर्क सुधार और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्मारिका दुकान खोलने जैसी घोषणाएँ भी कीं।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार वन संरक्षण और स्थानीय आजीविका सुधार पर लगातार कार्य कर रही है। प्रमुख सचिव (वन) आर.के. सुधांशु और मुख्य वन संरक्षक डॉ. तेजस्विनी पाटिल ने विभिन्न संरक्षण योजनाओं की जानकारी दी।
कार्यक्रम में विधायक, वरिष्ठ अधिकारी, जिलाधिकारी ललित मोहन रायल, एसएसपी मंजूनाथ टीसी, सीसीएफ डॉ. समीरा सिन्हा सहित बड़ी संख्या में नागरिक, छात्र और वन विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।



