सीएम ने दिए सफलता के मंत्र, मंत्री ने दिखाए भविष्य के सपने, छात्र बोले- और आगे बढ़ना है
मेधावी सम्मान समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बच्चों को सफलता के मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि आज जिस मुकाम पर ये होनहार हैं, वहां हम में से कोई नहीं हो सकता। इस मुकाम को एक बड़े लक्ष्य की तरफ लेकर चलना है। कहा, सफलता पानी है तो मेहनत का ये जज्बा और बढ़ाना होगा। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में खुद को साबित करने के लिए और जोर लगाना होगा। वहीं, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बच्चों को भविष्य के सपने दिखाए।
उन्होंने बताया कि कैसे सरकार होनहारों को चार तरह की छात्रवृत्ति दे रही है। कैसे एनडीए, सीडीएस के साथ ही अब सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी भी निशुल्क कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि अगर वह जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो अपार अवसर उनका इंतजार कर रहे हैं। उत्तराखंड के होनहार छात्रों को अमर उजाला की ओर से मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान मिला तो छात्रों के चेहरे खिल उठे। छात्रों से ज्यादा उनके अभिभावक खुश थे। अभिभावकों ने अमर उजाला की इस पहल की खूब सराहना की। सम्मान पाकर छात्रों ने कहा कि उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है कि उन्हें यह सम्मान दिया गया है। उन्होंने कहा, यह तो सफलता की शुरुआत है, अभी और आगे बढ़ना है, रुकना नहीं है। अधिकतर छात्रों ने कहा कि वह सिविल सर्विसेज में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। वहीं कुछ छात्रों ने बताया कि वह डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहते हैं।
12वीं की परीक्षा में मुझे 96 फीसदी अंक लाकर प्रदेश में छठी और जिले में दूसरी रैंक मिली है। मैंने कोई कोचिंग नहीं ली। मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतने अच्छे अंक आएंगे कि सम्मान मिलेगा। अभी बीए में दाखिला लेने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी करूंगी। मेरी मम्मी टीचर हैं और पढ़ाई के लिए वह हमेशा प्रेरित करती रहती हैं।
– प्रियंका कांडपाल, हल्द्वानी
मुझे 10वीं में 98.6 फीसदी अंक के साथ प्रदेश में चौथी और जिले में पहली रैंक मिली है। इतने अच्छे अंक पाने के बाद जब अमर उजाला की ओर से सम्मान देने के लिए फोन आया तो मेरे घर के सभी लोग बहुत खुश हुए। यहां पर मम्मी पापा के साथ आई हूं। मुख्यमंत्री सर के हाथों सम्मान पाकर जो खुशी मिल रही है उसे मैं बयां नहीं कर सकतीं।
– कोमल, उत्तरकाशी
10वीं में 97.2 फीसदी अंक के साथ मुझे जिले में तीसरी और प्रदेश में नौवीं रैंक मिली है। हम तीन बहन हैं, मैं सबसे बड़ी हूं। मेरे पापा बहुत सहयोग करते हैं। वह हमेशा पढ़ाई और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। मुझे लगता है कि पढ़ाई मन लगाकर करोगे तो सफलता मिलने से कोई रोक नहीं सकता। बस मन में इच्छाशक्ति होनी चाहिए।
– रुद्रांशी, पौड़ी गढ़वाल
10वीं में 98.6 फीसदी अंक के साथ जिले में दूसरी और प्रदेश में तीसरी रैंक मिली है। सिविल सर्विसेज में जाना चाहती हूं। हम पांच बहन और एक भाई है। पापा दुकान चलाते हैं। पढ़ाई में पापा और मम्मी दोनों का बहुत सपोर्ट रहता है। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैं, लेकिन पढ़ाई से संबंधित सभी जरूरतें मम्मी पापा पूरी करते हैं।
– शिल्पी बिष्ट, टिहरी गढ़वाल
मैंने 12वीं में 94 फीसदी अंक पाए हैं। घर में मम्मी-पापा और भाई हैं। मेरा सपना साइकोलॉजी में पीएचडी करके बेहतर शिक्षिका बनना है। भारत से जुड़े विषयों पर शोध करना चाहती हूं। इससे आने वाले समय को बेहतर कर सकूंगी।
-दीपिका बिष्ट, अल्मोड़ा