श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ

भारतीय जनसंघ के भारतीय जनसंघ के संस्थापक और इसके पहले अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 66वीं पुण्यतिथि पर देश आज उनको नमन कर रहा है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।

सीएम योगी आदित्यनाथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) हॉस्पिटल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 66वीं पुण्य तिथि पर उनकी प्रतिमा को पुष्प अर्पित करेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ इस अवसर पर सिविल हॉस्पिटल में वेंटीलेटर सेवा का भी उद्घाटन करेंगे। पंडित जवाहर लाल नेहरु की अंतरिम सरकार में मंत्री रहे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी।

भारतीय जनता पार्टी इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाती है। उनकी पुण्य तिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. मुखर्जी को याद करते हुए ट्वीट किया है, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक देशभक्त और स्वाभिमानी राष्ट्रवादी थे और उन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समॢपत कर दिया था। एक मजबूत और एकजुट भारत के लिए उनका जुनून हमें प्रेरित करता है और हमें 130 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की ताकत देता है।

33 साल की उम्र में बने कुलपति

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म छह जुलाई 1901 को कोलकाता के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जो बंगाल में एक शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी के रूप में जाने जाते थे। कोलकाता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1926 में सीनेट के सदस्य बने। वर्ष 1927 में उन्होंने वकालत की परीक्षा पास की। इसके बाद 33 वर्ष की उम्र में कलकत्ता यूनिवॢसटी के कुलपति बने थे। यहां पर चार साल के कार्यकाल के बाद कांग्रेस की ओर से कोलकाता विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस से मतभेद होने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया और उसके बाद फिर से स्वतंत्र रूप से विधानसभा पहुंचे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपनी अंतरिम सरकार में मंत्री बनाया था। वह बहुत छोटी अवधि के लिए मंत्री रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कई मतभेद थे। यह मतभेद तब और बढ़ गए जब नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच समझौता हुआ। इसके समझौते के बाद छह अप्रैल 1950 को उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध में वह इस बात पर दृढ़ थे कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। वह चाहते थे कि कश्मीर में जाने के लिए किसी को अनुमति न लेनी पड़े। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक गुरु गोलवलकर से परामर्श लेकर मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को राष्ट्रीय जनसंघ की स्थापना की, जिसका बाद में जनता पार्टी में विलय हो गया और फिर पार्टी के बिखराव के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।

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