सीएम योगी ने प्रवासी मजदूरों से की बात, मजदूरों ने कहा रोजी रोटी की तलाश में नहीं जाएंगे बाहर

सीएम योगी ने प्रवासी मजदूरों से की बात, मजदूरों ने कहा रोजी रोटी की तलाश में नहीं जाएंगे बाहर

जंगल रामगढ़ उर्फ चंवरी के दीपू और संदीप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की और हाल जाना। मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा, यहां काम मिलेगा तब भी बाहर जाओगे, जवाब में दोनों ने कहा, बाहर नहीं जाएंगे। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाहर से आए प्रवासी श्रमिकों एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोज कमाने वाले लोगों के खाते में एक हजार रुपये भेजने के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों से बातचीत कर रहे थे।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो प्रवासियों से की बात 

कलेक्ट्रेट के एनआइसी भवन में पांच प्रवासियों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र से आए जंगल चंवरी निवासी दीपू और दिल्ली से आए संदीप से बात की। दोनों से उन्होंने बाहर के काम के बारे में पूछा। पेंट पालिश के काम से जुड़े दोनों प्रवासियों से उन्होंने घर लौटने के बाद क्वारंटाइन सेंटर में मिली सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। दोनों ने कहा कि उन्हेंं सारी सुविधाएं मिली थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां भी पेंट पॉलिश का काम होता है, यहां काम मिलेगा, तो बाहर जाओगे। दोनों ने खुशी से कहा कि हम नहीं जाएंगे और यहीं रहकर काम करेंगे।

90 हजार लोगों को लाभ

जिले के 90 हजार लोग एक-एक हजार रुपये की धनराशि दी जानी है। इनमें से 18000 के खाते में शनिवार को धनराशि भेज दी गई है, शेष के खाते में भी जल्द ही भेज दी जाएगी। एडीएम वित्त राजेश सिंह ने बताया कि खातों में धनराशि भेजने के लिए अनुमोदन कर दिया है। एक से दो दिन में राशि खाते में पहुंच जाएगी।

कांफ्रेंसिंग में इन्हेंं मिला था निमंत्रण

संदीप- जंगल रामगढ़ चवंरी, सदर तहसील दीपू – जंगल रामगढ़ चंवरी, सदर तहसील संतोष- जंगल चवंरी, सदर तहसील उपेन्द्र, करजहां, चौरीचौरा अनिल, करजहां, चौरीचौरा तहसील

हजारों की संख्‍या में आए हैं प्रवासी

कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद पैदा हुए संकट में दिल्‍ली, मुंबई और देश के अन्‍य शहरों से पूर्वांचल में हजारों की संख्‍या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापस लौट आए हैं। इनमें से अधिकांश अब दिल्‍ली, मुंबई जाने की जगह अपने गांव, शहर में ही काम करने को उत्‍सुक हैं। सरकार भी इनकी पूरी मदद कर रही है।

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