उत्तराखंड के उच्च हिमालय में लगातार बर्फबारी, बाबा के दर्शन को नंगे पांव रहते श्रद्धालु
उत्तराखंड के उच्च हिमालय में लगातार बर्फबारी का दौर जारी रहा। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के आसपास की पहाड़ियों पर बर्फबारी हुई। केदारनाथ धाम में एक बार फिर हिमपात हुआ। यहां दो इंच तक बर्फ जमी हुई है। भक्तों में आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस सर्दी में भी श्रद्धालु नंगे पांव रहते हैं। बता दें कि रविवार को भी धाम में बर्फ गिरी थी। मौसम में आए बदलाव से धामों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। मौसम विभाग के अनुसार यह सिलसिला मंगलवार को भी बना रहेगा। वहीं, आज मसूरी में मौसम साफ है और धूप खिली हुई है। सुबह तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उधर, चारधाम यात्रा जारी है।
बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि नजदीक आने के साथ ही श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ रही है। मौसम में आया बदलाव श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहा है। इन दिनों बदरीनाथ धाम में न्यूनतम तापमान शून्य से एक डिग्री नीचे है, वहीं अधिकतम तापमान करीब नौ डिग्री सेल्सियस है। जबकि केदारनाथ में न्यूनतम तापमान शून्य से दो डिग्री कम और अधिकतम छह से सात डिग्री सेल्सियस के बीच है। सुबह-शाम पाला जमने से वाहनों के लिए भी दिक्कत बढ़ गई है। बदरीनाथ धाम में यात्रियों के लिए नगर पंचायत ने अलाव की व्यवस्था की है। जोशीमठ के उप जिलाधिकारी अनिल चन्याल ने बताया कि धाम में तीन हजार तक यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। यदि संख्या बढ़ी तो यात्रियों को जोशीमठ में ठहराया जाएगा।
केदारनाथ में अलाव की व्यवस्था न होने से यात्री नाराज
केदारनाथ में यात्रियों को कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गई। इससे यात्रियों में नाराजगी है। भोपाल से आए नारंग पटेल ने बताया कि केदारनाथ में सुबह ठंडी हवा के बीच यात्री कतार में खड़े रहते हैं। वहां अलाव तक नहीं जलाए जा रहे। दिल्ली के बसंत विहार से आए अभिमन्यु भी कहते हैं कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी के एस पुष्पवाण ने बताया कि मामले से नगर पंचायत को अवगत करा दिया गया है। जल्द ही यात्रियों की परेशानी दूर कर दी जाएगी।
तप्तकुंड में शुरू हुआ स्नान
बदरीनाथ धाम में अब श्रद्धालु तप्तकुंड के स्नान कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से इस कुंड में स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। श्रद्धालु तप्तकुंड के गरम पानी स्नान के बाद ही पूजा के लिए मंदिर जाते हैं।