उत्तराखण्ड औषधि विभाग ने नकली और अधोमानक दवाओं के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान छेड़ा हुआ है। अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि प्रदेशभर में औषधि निर्माण और विक्रय प्रतिष्ठानों की गहन जांच की जा रही है। विभाग की ओर से 2023 से अभी तक 83 संयुक्त छापेमारी अभियान चलाए जा चुके हैं, जिनमें 53 आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए और 89 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें कई अंतरराज्यीय नकली दवा गिरोहों के सदस्य भी शामिल हैं।औषधि विभाग की टीम ने छापेमारी के दौरान 33 निर्माण इकाइयों को उत्पादन बंद करने के आदेश जारी किए। विभाग के मुताबिक, यह कार्रवाई राज्य में औषधियों की गुणवत्ता बनाए रखने और नकली दवा नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए की जा रही है। ताजबर सिंह ने कहा, “औषधियों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उत्तराखण्ड में जनस्वास्थ्य सर्वोपरि है।”
विभाग को जांच में पता चला कि अन्य राज्यों में कुछ असामाजिक तत्व उत्तराखण्ड की फार्मा कंपनियों के नाम का दुरुपयोग करते हुए नकली दवाओं का निर्माण कर रहे हैं। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए उत्तराखण्ड औषधि विभाग ने CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) तथा तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के औषधि नियंत्रकों के साथ समन्वय बनाकर संयुक्त छापेमारी अभियान चलाए। जांच के दौरान 10 से अधिक अवैध निर्माण इकाइयों को सील किया गया।
100% सैंपलिंग शुरू –
औषधि विभाग ने सभी औषधी निर्माण इकाइयों से 100% सैंपलिंग शुरू कर दी है। “रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन” नीति के तहत लिए गए इन सैंपलों को वैज्ञानिक लैब में परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। विभाग का उद्देश्य है कि कोई भी अधोमानक या नकली दवा जनता तक न पहुंचे।
औषधि विभाग अब दवा आपूर्ति श्रृंखला को डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। इससे निर्माण से लेकर अंतिम बिक्री बिंदु तक हर दवा की ट्रेसिंग संभव होगी। साथ ही आम जनता को नकली दवाओं की पहचान सिखाने के लिए जनजागरूकता अभियान और मेडिकल स्टोर संचालकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
सीमित संसाधनों में भी सक्रियता
ताजबर सिंह ने बताया कि कम स्टाफ और सीमित संसाधनों के बावजूद विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में औषधि दुकानों, थोक विक्रेताओं और निर्माण इकाइयों पर निगरानी बढ़ा दी है। विभाग पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कार्य कर रहा है और भविष्य में इस मुहिम को और तेज किया जाएगा।
अपर आयुक्त एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी
“हम नकली दवाओं के खिलाफ सिर्फ कार्रवाई नहीं कर रहे, बल्कि भरोसे का माहौल बना रहे हैं। उत्तराखण्ड की जनता को सिर्फ प्रमाणिक, सुरक्षित और असरदार औषधियाँ ही मिलेंगी।” — ताजबर सिंह जग्गी, औषधि नियंत्रक, उत्तराखण्ड
यह सख्त रुख सिर्फ दवा व्यापार को दुरुस्त करने की पहल नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की उस प्राथमिकता को दर्शाता है जिसमें जनता की सेहत से जुड़ी हर गतिविधि को शीर्ष स्तर पर देखा जा रहा है।