उत्तर-पश्चिम हिमालय के नीचे बढ़ रहे तनाव से बड़े भूकंप का खतरा, जमीन के नीचे खिंचाव की स्थिति
उत्तर-पश्चिम हिमालय के नीचे सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले 20 सालों में आए 4500 से अधिक भूकंप के हल्के झटकों के बाद यहां भूगर्भ में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। जमीन के नीचे खिंचाव की स्थिति है। यह तनाव गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र में मेन सेंट्रल थर्स्ट जोन के दक्षिण में दर्ज किया जा रहा है। भूकंप के लिहाज से इस लॉक जोन में पैदा तनाव आगे नहीं बढ़ने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। भूगर्भ में पत्थरों की जटिल संरचना अवरोध पैदा कर तनाव को दक्षिण दिशा में आगे नहीं बढ़ने दे रही है। इससे यह स्ट्रेस चमोली और आसपास के क्षेत्र में ही निकल रहा है। यह तनाव इस क्षेत्र में बड़े भूकंप का खतरा भी बढ़ा रहा है।
250 वर्ष से नहीं आया कोई बड़ा भूकंप
भूगर्भ वैज्ञानिक डाॅ. काला चंद्र सेन, डाॅ. अनिल तिवारी, डाॅ. अजय पॉल और डाॅ. राकेश सिंह ने हिमालय क्षेत्र में भूकंप के खतरों को लेकर शोध किया है। उनका यह शोध रिसर्च जनरल टेक्टोनोफिजिक्स में प्रकाशित हुआ है। वाडिया इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यशाला में शोध को प्रस्तुत किया गया।
डाॅ. अनिल तिवारी ने रिसर्च पेपर प्रस्तुत कर बताया कि उत्तर-पश्चिम हिमालय क्षेत्र भूकंप के लिहाज से लॉक जोन है। 1905 के कांगड़ा भूकंप और 1934 के बिहार-नेपाल भूकंप के बीच का यह गैप जोन है, जहां 250 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया। इससे पहले यहां तीव्र भूकंप दर्ज किया गया था। लेकिन इस गैप एरिया में 12 से 25 किमी गहराई में 1.8 से 5.7 मैग्नीट्यूट के हल्के भूकंप के झटके लगातार दर्ज किए जा रहे हैं।