सरकारी आश्वासन के बाद देहरादून बार एसोसिएशन की हड़ताल खत्म

देहरादून बार एसोसिएशन ने 28 दिन से चल रही हड़ताल सोमवार को समाप्त कर दी। वकीलों की मांग थी कि सरकार स्वयं उनके चैंबर भवन का निर्माण करे। हालांकि लिखित आश्वासन में केवल यह कहा गया कि चैंबर निर्माण के लिए वित्तीय सहायता का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। आश्वासन सामने आने के बाद बार एसोसिएशन और संघर्ष समिति ने हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया। लेकिन कुछ ही देर बाद वकीलों में मतभेद उभरने लगे। शाम होते-होते ऑडिटर ललित भंडारी और सेवन-प्लस सदस्य अनुराधा चतुर्वेदी ने पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों ने सरकार के आश्वासन को अस्वीकार्य बताया।
धरना स्थल पर राज्य मंत्री विनय रोहिल्ला, गृह सचिव शैलेश बगौली, जिला जज प्रेम चंद खिमल, सीजेएम रिंकी साहनी, डीएम सविन बंसल, एसएसपी अजय सिंह सहित कई अधिकारी वकीलों से मिले और हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया। इसके बाद बार एसोसिएशन अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा की और एक संदेश जारी कर कहा कि सरकार ने सभी मांगें मान ली हैं।
पूर्व अध्यक्ष राजीव शर्मा बंटू सहित कई वकीलों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि सरकार ने न तो चैंबर भवन निर्माण पर स्पष्ट सहमति दी है और न ही भूमि आवंटन पर कोई ठोस बात कही है। उनका आरोप है कि मुख्य मांगें अभी भी लंबित हैं और बिना व्यापक चर्चा के हड़ताल खत्म कर दी गई।
दो इस्तीफों के बाद विरोध फिर तेज हो गया। सचिव और उपाध्यक्ष पहले ही बार काउंसिल चुनाव के कारण इस्तीफा दे चुके हैं, जिससे कार्यकारिणी पर अतिरिक्त दबाव बन गया है।
बार एसोसिएशन और संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि मंगलवार से यदि कोई वकील अलग से प्रदर्शन करता है, तो उसकी जिम्मेदारी उसी की होगी। संगठन ऐसे प्रदर्शनों का समर्थन नहीं करेगा।
अनुराधा चतुर्वेदी ने कहा कि आश्वासन वकीलों की मांगों को पूरा नहीं करता और वे स्थल पर अपना विरोध जारी रखेंगी। भंडारी ने भी कहा कि कार्यकारिणी ने बिना सहमति के निर्णय लिया है और सरकारी वादा खोखला है।
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उधर, सीबीआई विशेष अदालत में बचाव पक्ष के वकील अनुपस्थित रहने के कारण पांच भ्रष्टाचार मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी गई।
कुछ वकील समूह अब रात में भी धरना जारी रखने और प्रतिदिन भोजन वितरण शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। अंतिम निर्णय मंगलवार को होने की संभावना है।




