देहरादून में बिल्डर की दबंगई: सचिव का हवाला देकर निगम की टीम को लौटाया, एमडीडीए ने शुरू की जांच

देहरादून में बिल्डर की दबंगई: सचिव का हवाला देकर निगम की टीम को लौटाया, एमडीडीए ने शुरू की जांच

देहरादून, 3 अगस्त — सहस्रधारा रोड स्थित एटीएस कॉलोनी में नगर निगम की जमीन पर अवैध निर्माण और कब्जे का मामला गरमाता जा रहा है। शनिवार को जब नगर निगम की भूमि निरीक्षक सुधा यादव टीम के साथ जांच के लिए पहुंचीं, तो बिल्डर ने सचिव का नाम लेकर दबाव बनाया और टीम को काम नहीं करने दिया। अधिकारी मौके से खाली हाथ लौट आए। निगम टीम के साथ पुलिस और लेखपाल भी मौजूद थे, लेकिन बिल्डर ने जमीन में घुसने तक नहीं दिया। उसने कहा कि फाइल सचिव के पास है और अब कोई जांच नहीं होनी चाहिए। यह मामला कॉलोनीवासियों की शिकायत पर उठा, जिसमें कहा गया है कि बिल्डर ने निगम की जमीन पर कब्जा कर भवन निर्माण के लिए गलत तरीके से नक्शा पास कराया।

कॉलोनीवासियों ने एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी से मिलकर बताया कि एक निर्माण बिना वैध मार्ग के हो रहा है और दूसरे में नक्शे में फर्जी रास्ता दिखाया गया है। उपाध्यक्ष ने अभियंताओं को मौके की स्थिति और स्वीकृत नक्शों की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

जमीन हस्तांतरण के खेल से उठा विवाद
वर्ष 2023-24 में नगर निगम की 3800 वर्गमीटर भूमि में से 1250 वर्गमीटर भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया गया था। बदले में जो जमीन निगम को दी जानी थी, वह ढांग, साल के पेड़ों और बंजर से भरी है। बाजार मूल्य के हिसाब से एटीएस की जमीन 75,000 रुपये प्रति वर्गगज है, जबकि प्रस्तावित भूमि 26,000 से 45,000 रुपये वर्गगज के बीच है।

यह प्रस्ताव बिना सक्षम संस्तुति के शासन को भेजा गया, जो स्वयं में गंभीर चूक है। मामला अब भी लंबित है।

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गोल्डन फॉरेस्ट की विवादित जमीन
यह जमीन गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी की है, जिसकी संपत्तियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नीलाम होनी हैं। निगम को यह भूमि अस्थायी रूप से सार्वजनिक उपयोग जैसे पार्क आदि के लिए सौंपी गई थी। लेकिन इसे निजी बिल्डर को कैसे स्थानांतरित करने की तैयारी हुई, यह बड़ा सवाल बन चुका है।

Saurabh Negi

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