नाम बड़े पर काम छोटे: देहरादून में दिव्यांग बालिकाओं को ठुकराने वाली नामी संस्थाएं जांच के घेरे में

देहरादून, 13 मई – समाज कल्याण विभाग में पंजीकृत कई प्रसिद्ध दिव्यांग कल्याण संस्थाएं अब सवालों के घेरे में हैं। हाल ही में जिले की 20 दिव्यांग असहाय बालिकाओं को आश्रय न देने का मामला सामने आया, जिसने प्रशासन को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने नाराजगी जाहिर करते हुए 10 बिंदुओं पर उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है। समिति निर्धारित समय में रिपोर्ट सौंपेगी और दोषी संस्थाओं का पंजीकरण रद्द किया जाएगा।
डीएम ने स्पष्ट किया कि यदि जरूरत पड़ने पर दिव्यांग बच्चों को संस्था में स्थान नहीं मिलता, तो यह मानवाधिकारों का हनन है। उन्होंने समाज कल्याण अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी को भी चेताया कि वे केवल हस्ताक्षरकर्ता नहीं, बल्कि ज़िम्मेदार अफसर बनें। प्रशासन अब इन तथाकथित सेवा संस्थाओं को पेशेवर व्यवसाय का अड्डा नहीं बनने देगा।
सूत्रों के अनुसार, कई संस्थाएं दस्तावेजों में दिखाए गए संसाधनों, स्टाफ व बच्चों की संख्या को वास्तविकता में उपलब्ध नहीं करवा रहीं। यही नहीं, सरकारी और विदेशी फंडिंग पाने के बावजूद जब असहाय बालिकाओं को दाखिले की ज़रूरत पड़ी, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।
जिन संस्थाओं की जांच होगी उनमें बजाल इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग, लतिका राय फाउंडेशन, भरत मंदिर स्कूल सोसायटी, रैफल राइडर चौशायर सेंटर, अरुणिमा प्रोजेक्ट, यशोदा फाउंडेशन, एमडीआरएस, मुशीसभा सेवा सदन, डिस्लेक्सिया सोसायटी, सेतु संस्था, वसुंधरा मानव कल्याण संस्था, लर्निंग ट्री, नन्ही दुनिया, आशा स्कूल, आशोनिक वैलफेयर सोसायटी व नंदा देवी दिव्यांग एसोसिएशन शामिल हैं।