देहरादून में उत्तराखंड का पहला जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र शुरू, एक ही छत के नीचे मिलेंगी सभी सुविधाएं

देहरादून में उत्तराखंड का पहला जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र शुरू, एक ही छत के नीचे मिलेंगी सभी सुविधाएं

देहरादून के गांधी शताब्दी जिला चिकित्सालय में बुधवार को राज्य का पहला जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) शुरू हो गया। इस केंद्र का उद्घाटन रायपुर विधायक खजानदास की अध्यक्षता में महापौर सौरभ थपलियाल, जिलाधिकारी सविन बंसल और मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि देहरादून पार्षद सुनीता मंजखोला भी मौजूद थीं।

इस केंद्र में दिव्यांगजनों को फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श, दिव्यांग प्रमाण पत्र, यूडीआईडी कार्ड, कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र और रोजगार प्रशिक्षण जैसी सभी सेवाएं एक ही स्थान पर मिलेंगी। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि समाज की लगभग 20 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में दिव्यांगता से प्रभावित है। ऐसे में यह केंद्र दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगों को केंद्र तक लाने के लिए समर्पित वाहन की भी व्यवस्था की गई है।

देहरादून दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र में दिव्यांगजनों के लिए व्यापक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यहां पर फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, वाक चिकित्सा और अर्ली इंटरवेंशन की आधुनिक सेवाएं दी जाएंगी। दिव्यांग प्रमाण पत्र और यूडीआईडी कार्ड बनाने की सुविधा होगी। साथ ही कृत्रिम अंग, व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, श्रवण यंत्र जैसे सहायक उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परामर्श के साथ ही रोजगार प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि दिव्यांगजन आत्मनिर्भर बन सकें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

महापौर सौरभ थपलियाल ने कहा कि यह केंद्र सशक्त समाज की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने डीडीआरसी हेल्पलाइन नंबर 8077386815 का भी शुभारंभ किया। इस दौरान दिव्यांग अनिल कुमार ढौंडियाल और नीरज बिष्ट को श्रवण यंत्र प्रदान किए गए। वहीं, आर्ट प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांग छात्रों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने पुनर्वास केंद्र में बने विभिन्न कक्षों का निरीक्षण किया जिनमें फिजियोथेरेपी, वाक चिकित्सा, अर्ली इंटरवेंशन रूम और स्पीच थेरेपी की सुविधाएं शामिल हैं। संचालन की जिम्मेदारी मुनीशाभा सेवा सदन और पुनर्वास संस्थान को सौंपी गई है।

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डीडीआरसी का उद्देश्य दिव्यांगजनों को चिकित्सा, शिक्षा, सामाजिक और व्यावसायिक पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना है। केंद्र में उन्हें व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण और स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाएगा। यह पहल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की समावेशी सेवा नीति का हिस्सा है और इसे भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत समाज कल्याण विभाग की देखरेख में चलाया जाएगा।

Saurabh Negi

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