मियाँवाला में तालाब, गौरा देवी पार्क में आधुनिक जलाशय बना रहा MDDA, स्कूलों में वर्षा जल संचयन की योजनाएं भी लागू

मियाँवाला में तालाब, गौरा देवी पार्क में आधुनिक जलाशय बना रहा MDDA, स्कूलों में वर्षा जल संचयन की योजनाएं भी लागू

जल संरक्षण, हरित विकास और सतत पर्यावरण प्रबंधन को लेकर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने राजधानी देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को लेकर कुछ योजनाएं लागू की हैं।एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप प्राधिकरण ने न केवल बुनियादी जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य किया है, बल्कि शहरी विकास के साथ प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

मियाँवाला में तालाब निर्माण
एमडीडीए द्वारा मियाँवाला क्षेत्र में राजकीय इंटर कॉलेज के निकट एक विस्तृत तालाब का निर्माण किया जा रहा है। जो वर्षा जल को संरक्षित करेगा और भूगर्भ जल स्तर को पुनः भरने में सहायक होगा। इस पहल से न केवल स्थानीय जल संकट को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि क्षेत्र के किसानों और नागरिकों को भी दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।

गौरा देवी पार्क में आधुनिक जलाशय का निर्माण
गौरा देवी पार्क परिसर में आईएसआईएस मॉडल पर आधारित जलाशय तैयार किया गया है। यह जलाशय वर्षा जल को एकत्र करने और पार्क क्षेत्र की हरियाली बनाए रखने में सहायक होगा। भविष्य में इसे प्राकृतिक पर्यावरण शिक्षा स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। एमडीडीए के अनुसार देहरादून के कई सरकारी विद्यालयों में वर्षा जल संचयन की भी व्यवस्था की जा रही है। यह प्रणाली न केवल स्कूल परिसरों में जल संरक्षण सुनिश्चित करेगी, बल्कि छात्रों को जल सुरक्षा की शिक्षा देने का भी माध्यम बनेगी।

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एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने जानकारी दी कि मियाँवाला तालाब के चारों ओर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा। इससे क्षेत्र में हरियाली बढ़ेगी, जैव विविधता को संरक्षण मिलेगा और स्थानीय जलवायु सुधार में भी योगदान होगा। और आमजन से अपील की कि वे जल संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता के इस जन अभियान में शामिल हों। संरक्षित जल-सुरक्षित कल के संकल्प के साथ, एमडीडीए भविष्य की दिशा तय कर रहा है। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा कि हम देहरादून को फिर से एक ‘हरित दून’ के रूप में देखना चाहते हैं। वृक्षारोपण केवल एक पर्यावरणीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कर्तव्य भी है। इस अभियान को जनभागीदारी के माध्यम से एक आंदोलन का स्वरूप दिया जा रहा है, जिसमें हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। हमारा प्रयास है कि निर्धारित लक्ष्य को पार कर इसे एक स्थायी परंपरा में बदला जाए।

 

 

Saurabh Negi

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