रक्षाबंधन पर देहरादून में यातायात प्रबंधन ध्वस्त, जाम से ठप रही शहर की रफ्तार

देहरादून, 9 अगस्त — रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर राजधानी देहरादून में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। सुबह से रात तक चले भीषण जाम ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी। लोग घंटों वाहनों में कैद रहे—किसी की ट्रेन छूट गई, तो किसी की फ्लाइट। कई यात्रियों को, टिकट होते हुए भी, बसों तक पहुंचने का मौका नहीं मिला। सवाल यह है कि इतने बड़े त्योहारी अवसर पर यातायात पुलिस ने जाम से निपटने की ठोस रणनीति क्यों नहीं बनाई।
सुबह से ही बिगड़े हालात –
शुक्रवार सुबह से ही बाजारों और मुख्य सड़कों पर भीड़ बढ़नी शुरू हो गई थी। राखी की खरीदारी और रिश्तेदारों के घर जाने के लिए लोग बड़ी संख्या में निकले। दोपहर होते-होते स्थिति बिगड़ने लगी, लेकिन यातायात पुलिस ने शुरुआती चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज किया। हरिद्वार बाईपास, सहारनपुर रोड, मसूरी रोड और दून–पांवटा राजमार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं।
ये जगह थी जाम का केंद्र
हरिद्वार बाईपास पर हालात सबसे गंभीर रहे। यहां आइएसबीटी, कारगी चौक, रिस्पना पुल, जोगीवाला और मोहकमपुर तक लगभग 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। लोग तीन से चार घंटे तक धूप और उमस में फंसे रहे। इस दौरान न तो पर्याप्त ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद थे, न ही वैकल्पिक मार्गों पर कोई सक्रिय प्रबंधन किया गया।
किसी की ट्रेन छूटी और किसी की फ्लाइट
रिस्पना पुल पर जाम में फंसी नत्थनपुर निवासी एक महिला ने बताया कि वह बेटे के साथ लखनऊ जाने के लिए वंदे भारत ट्रेन पकड़ने निकली थीं, लेकिन जाम में फंसने से ट्रेन छूट गई। देहराखास निवासी योगेंद्र कुमार की भी बेंगलुरु की फ्लाइट समय पर नहीं पकड़ पाए।
कंट्रोल रूम व्यस्त, मौके पर कार्रवाई नदारद
शाम के समय कंट्रोल रूम और अधिकारियों के फोन लगातार बजते रहे, लेकिन मौके पर अतिरिक्त बल भेजने में देरी हुई। कई मार्गों पर जाम देर रात तक जस का तस रहा। सामान्य दिनों में 10 मिनट का रास्ता तय करने में लोगों को ढाई से तीन घंटे लग गए।
स्थानीय आबादी भी फंसी
बंजारावाला, मोथरोवाला, कारगी, सरस्वती विहार, बंगाली कोठी और टर्नर रोड जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों का आवागमन ठप हो गया। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि ग्राहकों की संख्या घटने से त्योहार की बिक्री पर भी असर पड़ा।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
रक्षाबंधन जैसे बड़े पर्व पर, जब यातायात दबाव पहले से अनुमानित था, पुलिस की यह लापरवाही शहर की छवि पर प्रश्नचिह्न लगाती है। न तो समय पर ट्रैफिक डाइवर्जन लागू किए गए, न ही मुख्य मार्गों पर पर्याप्त कर्मियों की तैनाती की गई। यह घटना बताती है कि राजधानी की यातायात व्यवस्था किसी भी भीड़भाड़ वाले मौके पर कितनी असहाय हो सकती है।