देहरादून में कई जगह रोक के बावजूद बन रहे बहुमंजिला भवन, आदेश दरकिनार कर हो रहे नक्शे स्वीकृत
राजधानी देहरादून में रविवार रात भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि, तीव्रता के पैमाने पर यह भूकंप हल्का था, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर चेतावनी थी। यह खतरे की घंटी विशेष रूप से उन इमारतों के लिए है, जो देहरादून से गुजर रही भूकंप रेखा (फाल्ट लाइन) के ऊपर या उसके आसपास स्थित हैं। हाल के वर्षों में देहरादून के मास्टर प्लान में भूकंप रेखा को चिन्हित कर इस पर निर्माण को रोकने की सिफारिश की गई थी, जिसे सरकार द्वारा मंजूरी भी दी गई। इसके बावजूद, इन संवेदनशील क्षेत्रों में ऊंची इमारतों का निर्माण लगातार जारी है, जो भविष्य में भारी नुकसान का कारण बन सकती हैं।
देहरादून की भूकंपीय संवेदनशीलता
देहरादून भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। यहां से मेन बाउंड्री थ्रस्ट फाल्ट लाइन और हिमालयन फ्रंट थ्रस्ट फाल्ट लाइन गुजरती हैं, जो इसे भूकंपीय दृष्टिकोण से और अधिक खतरनाक बनाती हैं। इन फाल्ट लाइनों के आसपास बड़ी संख्या में ऊंची आवासीय और व्यावसायिक इमारतों का निर्माण हुआ है, जो भविष्य के भूकंपों के दौरान गंभीर खतरे में पड़ सकती हैं। पिछले साल एमडीडीए ने भूकंप रेखा प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण को रोकने के लिए कदम उठाया था और मास्टर प्लान में भूकंप रेखा के 30 मीटर क्षेत्र में बहुमंजिला भवन बनाने पर प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इस नियम का पालन करने में कमी नजर आ रही है और अब भी कई स्थानों पर बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं।
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इस हल्के भूकंप के दौरान दून के भवनों को मिली चेतावनी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम भविष्य के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक नरेश कुमार के अनुसार, “ऐसे भूकंप हमें भविष्य के खतरों के प्रति सचेत करते हैं और हमें अपनी तैयारियों को मजबूत करना चाहिए।”
एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा कि “एमडीडीए भूकंप रेखा के आसपास ऊंचे भवनों के निर्माण को लेकर गंभीर है। भविष्य में फाल्ट लाइन क्षेत्र में ऊंचे भवनों के निर्माण को रोका जा सके, इसके लिए गंभीरता से काम किया जा रहा है।”