दिग्विजय सिंह ने कहा- सिंधिया और सचिन पायलट में धैर्य की कमी है

दिग्विजय सिंह ने कहा- सिंधिया और सचिन पायलट में धैर्य की कमी है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बुधवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट पर तीखा हमला किया और सब कुछ मिलने के बाद भी पार्टी छोड़ने का आरोप लगाया। पिछले कुठ दिनों से राजस्थान की कांग्रेस सरकार में उथल-पुथल चल रही है। कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में पायलट को बाहर निकालने का फैसला लिया गया है।

सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इन घटनाओं से दुखी हूं। इन युवाओं को कांग्रेस पार्टी ने सब कुछ दिया। उनके पास धैर्य नहीं है।’ सिंधिया मध्य प्रदेश कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में पहले ही शामिल हो चुके हैं, जबकि मंगलवार को पायलट को पार्टी द्वारा राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के रूप में बर्खास्त कर दिया गया। उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय एक सीएलपी बैठक में लिया गया था, जहां पर 102 विधायकों ने सर्वसम्मति से मांग की थी कि पायलट को हटा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य को कांग्रेस पार्टी में उनके पिता माधवराव सिंधिया के समान सम्मान मिला। उन्हें पार्टी में प्रमुख पद दिए गए। उन्होंने दुश्मन से हाथ मिलाया। हमें इसकी उम्मीद नहीं थी। सचिन पायलट द्वारा भी ऐसा ही किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने सचिन पायलट को 27 वर्ष की आयु में सांसद बनाया और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया।

कांग्रेस नेता ने पूछा कि उन्हें राजस्थान पीसीसी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया था। वह कितने साल के हैं? उनकी उम्र 37-38 साल है। थोड़ा धैर्य रखें। कितने लोग हैं जो राजनीतिक सीढ़ी पर इतनी जल्दी चढ़ गए हैं? उन्होंने कांग्रेस पार्टी के मानदंडों के खिलाफ काम किया है। यह दुखद है। मैं चाहता था कि मेरे सचिन पायलट के साथ अच्छे संबंध हों। ठीक वैसे ही जैसे मेरे राजेश पायलट और माधवराव सिंधिया के साथ संबंध थे। उन्होंने कहा कि इन युवाओं के पास धैर्य नहीं है, जो राजनीति में एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

बता दें कि इस साल मार्च में सिंधिया कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। बाद में 22 कांग्रेसी विधायकों ने भा कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिस कारण कमलनाथ सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह चौहान के दोबारा मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। सिंधिया को बाद में भाजपा से संसद के ऊपरी सदन के लिए चुना गया था।

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