कृषि और उद्यान में पहली बार होगी महानिदेशक की तैनाती

कृषि और उद्यान में पहली बार होगी महानिदेशक की तैनाती

कृषि व उद्यान विभाग में पहली बार महानिदेशक की तैनाती होगी। इसके लिए कृषि विभाग में पद सृजित करने के लिए आगामी कैबिनेट में प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। प्रदेश में अति सघन बागवानी व सेब भंडारण के लिए नीति तैयार की जा रही है।

बुधवार को हाथीबड़कला कैंप कार्यालय में प्रेसवार्ता में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश के किसानों के हित में कृषि विभाग में महानिदेशक की तैनाती की जा रही है। जो उद्यान विभाग को देखेंगे। इससे विभागों में पूर्व में हुई अनियमितताओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। सात जुलाई को प्रस्तावित कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी।

मंत्री जोशी ने कहा कि कृषि व उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार करने के लिए दोनों विभागों का दृष्टि पत्र तैयार कर अल्पकालिक व दीर्घकालिक लक्ष्य तय किए गए हैं। जापान के सहयोग से बाह्य सहायतित परियोजना के तहत समग्र बागवानी विकास के लिए 526 करोड़ राशि स्वीकृत है। इस योजना को टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल व पिथौरागढ़ में संचालित किया जाजा रहा है। जायका परियोजना की तर्ज पर प्रदेश प्रदेश के अन्य नौ जनपदों में औद्यानिकी के एकीकृत विकास के लिए एडीबी वित्त पोषण के लिए दो हजार करोड़ का प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया गया।

पांच करोड़ की राशि जारी
मंत्री ने कहा कि कीवी की खेती उत्तराखंड में गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके लिए प्रदेश में किसानों ने 2.12 लाख कीवी के पौधे लगाए हैं। मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत कीवी के लिए 16.56 करोड़ की राशि स्वीकृति की गई। इसमें पांच करोड़ की राशि जारी की गई। वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को औद्यानिकी के क्षेत्र में विशेष पहचान दिलाने के लिए वर्ष 2023-24 में उच्च गुणवत्तायुक्त फल पौधरोपण योजना के तहत 19 करोड़ बजट प्रावधान किया गया।

सेब मिशन के तहत दो नाली भूमि वाले किसान भी सेब उत्पादन कर सकते हैं। पूर्व में 20 नाली जमीन की अनिवार्यता को हटाया गया। बीते वर्ष प्रदेश में दो लाख सेब के पौधे की तुलना में इस वर्ष 12 लाख से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के तहत सूक्ष्म खाद्य उद्यम स्थापना के लिए 290 प्रस्तावों के ऋण स्वीकृत किया गया। पंतनगर में एक इन्क्यूवेशन सेंटर स्थापित किया गया। जबकि कालाढूंगी, नैनीताल व गंगालहरी देहरादून में इन्क्यूवेशन सेंटर प्रस्तावित हैं।

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