चुनाव में सरलता और पारदर्शिता के लिए आयोग ने उठाए 18 बड़े कदम, अब हर वोटर को मिलेगा आसान अनुभव

भारत निर्वाचन आयोग ने देशभर में मतदान प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए 18 महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने बताया कि इन सुधारों का उद्देश्य मतदाताओं की सुविधा और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।
आयोग ने मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित करने का निर्णय लिया है। ऊंची इमारतों व कॉलोनियों में अब अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। मतदाता सूची के अद्यतन में भी बड़ा सुधार करते हुए मृत्यु पंजीकरण का डेटा सीधे आरजीआई डेटाबेस से जोड़ा जाएगा, जिससे मृत मतदाताओं की पहचान और सूची से हटाने की प्रक्रिया अधिक सटीक हो सकेगी।
वोटर इनफॉर्मेशन स्लिप को अब और भी उपयोगी बनाया जा रहा है, जिसमें मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या को प्रमुखता से दर्शाया जाएगा।
राजनीतिक दलों से संवाद पर जोर
उत्तराखंड में आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ 85 सर्वदलीय बैठकें कीं, जबकि देशभर में अब तक 4719 बैठकें संपन्न हो चुकी हैं। इनमें 28 हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आम आदमी पार्टी, भाजपा, बसपा, सीपीआई (एम) और एनपीपी जैसे दलों से भी सीधे संवाद हुआ।
ईसीआईनेट डैशबोर्ड और डिजिटल सुधार
आयोग ने ‘ईसीआईनेट’ नामक एकीकृत डैशबोर्ड लॉन्च किया है, जिसमें 40 से अधिक ऐप और वेबसाइटों को एक प्लेटफॉर्म से संचालित किया जा सकेगा। इसके अलावा डुप्लिकेट वोटर आईडी की समस्या हल करने के लिए एक नई प्रणाली लागू की गई है, जिससे प्रत्येक मतदाता का ईपीआईसी नंबर अब विशिष्ट होगा।
28 हितधारकों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार
चुनाव प्रक्रिया से जुड़े 28 प्रमुख हितधारकों—जैसे मतदाता, अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार आदि—के लिए कानूनों, नियमों और आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किए जा रहे हैं। यह कार्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, तथा चुनाव संचालन नियम 1961 के अंतर्गत किया जा रहा है।