त्रिवेंद्र सरकार की बजट पोटली में चुनावी तैयारी की झलक आई नजर

 देहरादून मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2021-22 का बजट गुरुवार को सदन में पेश किया तो इसमें पूरी तरह सरकार की चुनावी तैयारी की झलक नजर आई। किसानों पर फोकस तो महिलाओं और युवा वर्ग को इसमें विशेष तवज्जो दी गई है। रोजगार को लेकर सरकार ने बजट में जो प्रविधान किए हैं, उससे संकेत साफ हैं कि लगभग सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को कोई बड़ा मुद्दा थमाना नहीं चाहती।

जैसे कयास लगाए जा रहे थे, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछली बार की तरह गैरसैंण में आयोजित विधानसभा सत्र में चार मार्च को ही बजट पेश करने के दौरान एक बार फिर विपक्ष को चौंका दिया। पिछले साल उन्होंने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की तो इस बार फिर गैरसैंण पर उनकी नेमत बरसी। हालांकि मुख्यमंत्री नए जिलों के गठन से इनकार कर चुके हैं, लेकिन गैरसैंण को राज्य की तीसरी कमिश्नरी घोषित कर दरियादिली दिखाने में वह पीछे नहीं हटे।

लगातार दूसरे साल बजट के दौरान गैरसैंण को लेकर की गई घोषणाओं से उन्होंने विपक्ष कांग्रेस को गैरसैंण के मुद्दे पर पूरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया। साफ है कि भाजपा स्वयं गैरसैंण को आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़े मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति पर चल रही है, जहां तक बजट का सवाल है, तो त्रिवेंद्र की बजट पोटली में समाज के हर तबके के लिए कुछ न कुछ प्रविधान किए गए हैं। दरअसल, भाजपा के समक्ष विधानसभा चुनाव में उसका पिछला प्रदर्शन ही कसौटी बन गया है।

विधानसभा की 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा ने वर्ष 2017 में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। हालांकि पार्टी ने वर्ष 2022 के चुनाव के लिए 60 सीटों का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन भाजपा के लिए ऐसा करना आसान भी नहीं होगा। यही वजह है कि भाजपा सरकार ने इस चुनावी बजट में सब कुछ झोंकते हुए नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता से लेकर युवा वर्ग की सबसे बड़ी चिंता रोजगार सृजन तक को खास तरजीह दी है। उत्तराखंड में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका में रहता आया है, लिहाजा उसे अपने पाले में लाना किसी भी राजनीतिक दल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

इसके अलावा महिलाओं की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहती आई है। सरकार पिछले कुछ समय से महिला कल्याण से जुड़ी योजनाओं पर विशेष तौर पर फोकस किए हुए है। पैतृक संपत्ति में महिलाओं को सह खातेदार बनाने के लिए सरकार इसी सत्र में संशोधन विधेयक लेकर आई है, तो बजट में घस्यारी योजना के लिए बजट का प्रविधान भी शामिल किया गया है।

राज्य में किसानों की संख्या आठ लाख से ज्यादा है। यानी वोट बैंक के रूप में देखा जाए तो इनकी अहम भूमिका को कतई दरकिनार नहीं किया जा सकता। यही वजह रही कि बजट में कृषि और कृषि से संबंधित सहायक गतिविधियों के लिए कई कदम उठाने का प्रविधान शामिल है।

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