अनियंत्रित तीर्थयात्रा को लेकर विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में अनियंत्रित तीर्थयात्रा और लगातार हो रहे निर्माण खतरा पैदा कर रहे हैं। उनका मानना है कि बेरोकटोक निर्माण बड़े खतरे के संकेत हैं। इसके अलावा हजारों तीर्थयात्री प्रतिदिन उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में जाते हैं, जो नाजुक हिमालयी क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा है।
प्रदेश में लगातार भूस्खलन की खबरें भी सामने आ रही है। दूसरी तरफ जोशीमठ में घरों में पड़ी दरारों के कारण लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरणविद् सड़क विस्तार परियोजना को एक अन्य कारक के रूप में इंगित करते हैं जो क्षेत्र की स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। ये पहले से ही जलवायु-संचालित आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।
जैविक विविधता के लिए खतरा
पर्यावरण कार्यकर्ता अतुल सती के अनुसार, चार धाम यात्रा के लिए राज्य में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर उत्तराखंड सरकार का निर्णय गंभीर चिंता का विषय है। पहले यमुनोत्री धाम में 5,500 तीर्थयात्री, गंगोत्री में 9,000, बदरीनाथ में 15,000 और केदारनाथ 18,000 तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित की गई थी।
अतुल सती का कहना है कि बदरीनाथ और अन्य तीर्थ स्थलों पर प्रति दिन हजारों तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ वाहनों की संख्या में वृद्धि और आसपास के क्षेत्र में लापरवाह निर्माण परियोजनाएं क्षेत्र की पारिस्थितिक और जैविक विविधता के लिए एक खतरा पैदा कर रही हैं।