उत्तराखंड में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र मामला: 51 शिक्षकों को नौकरी देने वाले डॉक्टर भी जांच के दायरे में

उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र मामले में कार्रवाई तेज करते हुए अब उन डॉक्टरों को भी जांच के दायरे में लिया है, जिन्होंने संदिग्ध प्रमाणपत्र जारी किए थे। विभागीय जानकारी के अनुसार, 51 शिक्षकों ने दिव्यांग कोटा के तहत सरकारी नौकरी हासिल की थी, जिनके प्रमाणपत्र बाद में संदिग्ध पाए गए।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने संबंधित शिक्षकों को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर प्रमाण और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। विभाग उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा। कई प्रमाणपत्र लोकोमोटर डिसएबिलिटी, विजुअल इम्पेयरमेंट और ऑर्थोपेडिक कैटेगरी में जारी किए गए थे।
विभाग का कहना है कि नियुक्ति के समय प्रमाणपत्र की केवल औपचारिक जांच होती है और विभाग के पास उसकी चिकित्सीय प्रामाणिकता पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं होता। ऐसे में यदि प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो उन्हें जारी करने वाले डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि 2022 में राज्य मेडिकल बोर्ड से प्रमाणपत्रों की जांच कराई गई थी, जिसमें कई प्रमाणपत्र अमान्य मिले। ये प्रमाणपत्र दिव्यांगजन मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए थे, जिससे पूरे सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।




