पांच लाख मीट्रिक टन कूडा जमा हुआ शीशमबाड़ा में
शीशमबाड़ा में कूड़े का पहाड़ लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले शीशमबाड़ा करीब ढाई लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ खड़ा था। लेकिन, आईआईटी रुड़की की ओर से कूड़े का आकलन किया तो यहां करीब पांच लाख मीट्रिक टन कूड़ा पाया गया। यानी सालभर में कूड़े का पहाड़ दोगुना बढ़ गया। ऐसे में कूड़े की निगरानी के लिए लगी कंपनी जेवीवी टेक्नोक्रेट पर सवाल उठ रहे हैं। शीशमबाड़ा में कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी 2018 में रैमकी कंपनी को दी गई। निगम की ओर से कंपनी को तीन लैंडफिल भी उपलब्ध कराए गए। कूड़े के निस्तारण के बाद बचे कूड़े को लैंडफिल में भरना था। फिर इसे कंपनी को बाहर भी भेजना था। लेकिन, रैमकी कंपनी कूड़े को बिना निस्तारित किए सीधे लैंडफिल में डालती रही। इससे यह हुआ कि तीन साल में ही तीनों लैंडफिल भर गए और यहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। समस्या विकराल हो गई तो निगम की नींद टूटी और रैमकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
दून से हर दिन निकलता है औसतन 450 मीट्रिक टन कूड़ा
दून नगर निगम के अंतर्गत सौ वार्ड हैं। इन वार्डों से प्रतिदिन औसतन 450 सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। जिसे ट्रांसफर स्टेशन कारगी के बाद शीशमबाड़ा प्लांट भेजा जाता है। इसमें से आधे कूड़ा का ही निस्तारण कंपनी करती है। बाकी बचे कूड़े को लैंडफिल में ही फेंका जा रहा है। यही हालत रहे और वहां खड़े कूड़े के ढेर को निस्तारित नहीं किया गया तो हालत और बदतर हो सकते हैं।