उत्तराखंड की पांच दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल, केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन ने जारी किया ड्रग अलर्ट
उत्तराखंड में निर्मित पांच दवाओं के सैंपल जांच में फेल हो गए हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएसओ) ने इस पर ड्रग अलर्ट जारी किया है। ये दवाएं हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले की निर्माण इकाइयों में निर्मित हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले चार महीनों में उत्तराखंड में निर्मित 35 दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। हाल के वर्षों में भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे थे, विशेष रूप से जांबिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत को भारत में बनी खांसी की दवा से जोड़ा गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने दवाओं की निगरानी बढ़ा दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हर माह दवाओं की जांच कर रहा है। इसी क्रम में केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन ने जून माह की जांच रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देशभर में निर्मित 31 दवाओं की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। इनमें उत्तराखंड में निर्मित पांच दवाएं भी शामिल हैं। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि सीडीएसओ की रिपोर्ट पर कार्रवाई की गई है। संबंधित कंपनियों के उत्पाद लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं और जिन दवाओं के सैंपल फेल आए हैं, उन्हें बाजार से वापस मंगवा लिया गया है।
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फेल हुई दवाओं की सूची:
- एसोप्रैज़ोल टैबलेट: स्काइमेप फार्मास्यूटिकल्स, रुड़की
- रैनिटीडीन टैबलेट: फ्रान्सिस रेमेडीज, रुड़की
- ट्रेनेक्ज़ामिक एसिड टैबलेट: ओमेगा फार्मा, रुड़की
- पैंटोप्राज़ोल टैबलेट: एग्रोन रेमेडीज, काशीपुर
- एटोरिकाक्सीब टैबलेट: एप्पल फार्म्युलेशन, रुड़की
यह घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि दवाओं की गुणवत्ता पर सतर्कता और नियमित निगरानी की कितनी आवश्यकता है। राज्य और केंद्र सरकारों को इस दिशा में लगातार काम करना होगा ताकि जनता को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा मिल सके।